मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जो सख्त निर्देश अपनी आपात बैठक में दिए थे, वो महज 2 दिनों बाद पटना की सड़कों पर हवा-हवाई होते दिखे। भास्कर ने इसे लेकर जो रियलिटी चेक किया है उसमें न ही मास्क, न सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कहीं होता दिखा. यही नहीं, खुद पुलिस भी इन नियमों के प्रति लापरवाह मिली। इस पर भास्कर ने लोगों से सवाल किए तो कहीं लापरवाही तो कहीं चिंता दिखी।
चालकों की चिंता- सीट खाली रखेंगे तो किराया कौन देगा
राजधानी में कंकड़बाग से लेकर बेली रोड तक के रियलिटी चेक में कोरोना गाइडलाइन का पालन होता कहीं नहीं दिखा। ऑटो से लेकर बसों तक पर लोग बिना मास्क के सफर करते मिले। कोरोना के खतरे के बीच बसों में यात्रियों को भरे जाने के सवाल पर बस चालक उल्टे ही सवाल करते रहे. बस चालकों ने कहा- सीटें फुल नहीं करेंगे तो किराया कौन देगा? सरकार की तरफ से जारी निर्देशों का पालन करने को अपनी नहीं, बल्कि यात्रियों की जिम्मेदारी बताते रहे। ऑटो-बस चालकों ने कहा कि यात्री दोगुना किराया देंगे तभी आधी सवारी बैठेंगी। ऐसा होने पर ही उनके बगल की सीटें खाली रखी जाएंगी।
यात्री दोगुना किराया देने को नहीं हैं तैयार
ऑटो और बस चालक ही नहीं, यात्री भी कोरोना गाइडलाइन को लेकर गंभीर नहीं दिखे। बस और ऑटो में कई यात्री बिना मास्क के थे। कंकड़बाग स्टैंड से बस में सवार हुई कमला कहती हैं- मास्क लगाना भूल गए। कमला ही नहीं, बस पर सवार कई यात्री सवाल पूछे जाने पर गमछे से मुंह ढंकते नजर आए। सोशल डिस्टेसिंग के लिए दोगुना भाड़ा देने के लिए भी कोई यात्री तैयार नहीं दिखा।
पुलिस भी भूली कोरोना गाइडलाइन
शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर पुलिस खड़ी मिली, लेकिन कहीं भी कोरोना गाइडलाइन को लेकर उनकी तरफ से सख्ती नहीं दिखाई दी। बेली रोड पर हेलमेट चेक करते ट्रैफिक पुलिस के लोग खुद ही नाक के नीचे मास्क लगाए दिखे। बाइक सवार लोगों को रोक कर कागजात चेक करती पुलिस को ऑटो पर ठूंस-ठूंस कर जाते और ऑटो से बाहर शरीर लटकाकर बिना मास्क के बैठे यात्री नहीं दिखे।
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