शिक्षा विभाग छात्रों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है, इसका अंदाजा एक आदेश से लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने स्कूलों को लेकर जारी आदेश में कहा है कि सरकारी विद्यालय में अध्ययनरत सभी छात्र छात्राओं को दो-दो मास्क दिया गया था। स्कूलों में सभी छात्र छात्राओं को मास्क पहनकर आना अनिवार्य होगा। अब सवाल यह है कि सरकार द्वारा दिए गए मास्क को स्टूडेंट्स कितने दिनों तक चलाएंगे। मास्क भी ऐसा नहीं था कि उसे धुलाई कर एक साल तक चलाया जा सके।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार के आदेश से यह साफ हो रहा है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अब मास्क नहीं दिया जाएगा। पुराने मास्क से ही बच्चाें को कोरोना की लड़ाई लड़नी होगी या फिर मास्क खरीदना पड़ेगा। कोरोना की पहली लहर के बाद स्कूल खुलने के बाद बच्चों को दो दो मास्क दिए गए थे।
दूसरी लहर में जब स्कूल बंद हुए उसके बाद कोरोना के हालात ऐसे थे कि बिना मास्क के बाहर निकल पाना संभव नहीं था। ऐसे में छात्रों ने स्कूल से मिले सरकारी मास्क का उपयोग किया और हर दिन धुलाई भी हुई। इससे मास्क खराब हो गए। अब स्कूलों में कौन सा मास्क पहनकर बच्चे आए यह बड़ा सवाल है। पटना के कुर्जी रोड निवासी आनंद यादव का कहना है कि उनके दो बच्चे सरकारी स्कूल में जाते हैं। जो मास्क सरकार की तरफ से मिला था वह कब का खराब हो गया। अब या तो रुमाल बांधेंगे या फिर मास्क खरीदना पड़ेगा।
सरकार के दावे पर खरा नहीं उतरा मास्क
कोरोना की पहली लहर के बाद जब स्कूल खोला गया था तो जीविका की तरफ से छात्रों को दो दो मास्क दिया गया। सरकार का दावा था कि मास्क धुलाई वाला है और क्वालिटी काफी अच्छी है जिससे लंबे समय तक चलेगा, लेकिन मास्क सरकार के दावों की कसौटी पर खरा नहीं उतरा। हर धुलाई के बाद वह कमजोर होता गया और कुछ ही दिन में ऐसा हो गया कि पहनना न पहनना सब बराबर हो गया। पटना के गोसाई टोला के रहने वाले छात्र अमरेश मंडल का कहना है कि मास्क ऐसा नहीं था जिससे उसे कई दिनों तक धुलाई करके पहना जाए। स्कूल खुला था उसके थोड़े ही दिन बाद वह 5 से 6 धुलाई के बाद खराब हो गया।
कोरोड़ों के मास्क में भी हुआ बड़ा खेल
बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय से मिली जानकारी के मुताबिक सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों के सभी छात्र छात्राओं को जीविका के माध्यम से मास्क उपलब्ध कराया गया था। शिक्षा वभाग का कहना है कि दो लेयर के मास्क 3 प्लेट के थे और इन्हें धोकर इस्तेमाल किया जा सकता है। हर छात्र को दो-दो मास्क इसलिए दिया गया था कि वह अल्टरनेट एक एक कर मास्क पहनकर स्कूल आएं। लेकिन स्कूल खुलने के दौरान सभी छात्रों को मास्क नहीं मिल पाया था।
6 से 8 के बीच 15 करोड़ का मास्क बांटा
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना की पहली लहर के बाद स्कूल खुलने के दौरान मास्क बांटने में हुई गड़बड़ी के बीच 157171620 रुपए का मास्क 7858581 छात्रों को बांटा गया है। यह छात्र क्लास 6 से 8 में पढ़ाई करने वाले रहे। यह संख्या बिहार के 31 जिलों की की है। शिक्षा विभाग के मुताबिक बिहार के 31 जिलों में लगभग 78 लाख बच्चों में लगभग 15 करोड़ का मास्क बांटा गया है।
1 से 5 तक के छात्रों में बांटा 21 करोड़ का मास्क
शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक क्लास 1 से 5 तक के सरकारी स्कूलों के बच्चों में कुल 21 करोड़ का मास्क बांटा गया। विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 27 जिलों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 10673684 छात्र छात्राओं को 213473680 रुपए का मास्क बांटा गया।
37 करोड़ का मास्क भी नहीं आया काम
बिहार सरकार के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के प्राथमिक शिक्षा के तत्कालीन निदेशक रणजीत कुमार सिंह ने 17जून 2021 को बिहार के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को एक पत्र जारी किया था, जिसमें जीविका द्वारा दिए गए मास्क और ससके बकाए की जानकारी दी थी। पत्र में सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में छात्राें में बांटे गए मास्क की सूची मिलान के लिए भेजी थी, जिसमें मास्क का बकाया पैसा दिखाया गया था।
इस सूची के अनुसार बिहार में शिक्षा विभाग ने 18532265 छात्रों में 370645300 रुपए का मास्क बांट दिया था। यी रकम सरकार पर बकाया था और इसका भुगतान करने से पहले सूची का मिलान करने के लिए भेजा गया था। 37 करोड़ का मास्क भी बच्चों के काम नहीं आ सका जिससे वह एक साल तक स्कूलों में कोरोना से लड़ाई लड़ सकें।
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