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11 जनवरी को विपक्ष के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बजट सत्र छोटा करने की सरकार की तैयारी को घेरा था। क्यों? अब साफ हो रहा है। 19 फरवरी से बजट-सत्र शुरू होगा तो वजह सभी को दिखेगी। एक-एक मंत्री के पास 5-6 विभाग हों तो कोई मंत्रीजी क्या समझकर आएंगे और समझाएंगे! और, अब मंत्रिमंडल विस्तार हो भी गया तो नए बने मंत्री एक हफ्ते के समय में अफसरों का बनाया बजट बिना समझे ही तो पढ़ेंगे! मंत्रीपद का अनुभव नहीं रखने वालों को तो और मुसीबत होगी। तेजस्वी यादव को कुछ पुराने राजनीतिक धुरंधरों ने यही ‘ज्ञान’ दिया था, जिसके कारण वह बजट-सत्र छोटा किए जाने पर सरकार को घेरने की बात जनवरी से ही कर रहे हैं। ताजा हालात में बजट पढ़ते समय मंत्रियों का फंसना विपक्ष तय मान रहा है।
मंत्रिमंडल में शामिल होकर भी कुछ जुड़वा नहीं सकेंगे मंत्री
19 फरवरी 2020 से बिहार विधानमंडल का बजट सत्र-शुरू होने वाला है। सभी विभागों के अफसर इसे वर्तमान मंत्रियों के सामने तैयार कर रहे हैं। एक-एक मंत्री 5-6 विभागों के लिए जिम्मेदार हैं तो वह सभी विभागों को ठीक से समझ भी नहीं पा रहे हैं। ऐसे में इसे ‘अव्यावहारिक’ भी कहा जा रहा है। इस हालत में बजट-सत्र से पहले मंत्रिमंडल विस्तार का जबरदस्त दबाव है। लेकिन, IAS अफसरों के बीच यह चर्चा भी है कि अब दो-चार दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार हो भी जाए तो नए मंत्री अपने हिसाब से अपने विभाग के बजट में कुछ बड़ा फेरबदल शायद ही करवा सकें। इतना ही नहीं, नए मंत्रियों के पास सदन की तैयारी के लिए ही बहुत कम समय होगा। छह-सात दिनों में विभागों की पूरी जानकारी जुटा पाना भी आसान नहीं होता है। जिनके पास बजट का अनुभव नहीं होगा, उनके लिए तो असंभव जैसा होगा यह सब। एक वरीय IAS अधिकारी ने भास्कर से बातचीत में कहा भी कि “राज्य का आम बजट प्रदेश के विकास का खाका होता है और उसके लिए मंत्री अगर तैयारी नहीं करेंगे तो विपक्ष घेर भी सकता है।”
वित्त मंत्री हैं डिप्टी CM, इनके पास 6 विभाग हैं
बिहार सरकार में 36 मंत्रियों की जगह है। कुल 42 विभाग हैं। इसमें अभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 13 मंत्री हैं। वर्तमान में उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद के पास 6 विभाग, उप मुख्यमंत्री रेणु देवी के पास 3, विजय चौधरी के पास 5 , विजेंद्र यादव के पास 4, अशोक चौधरी के पास 5 विभाग, मंगल पांडेय के पास 3, अमरेन्द्र प्रताप सिंह और जीवेश कुमार के पास 3 विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वही, राम सूरत कुमार और संतोष कुमार सुमन के पास दो-दो विभाग हैं। यदि, मंत्रिमंडल की टीम यही रह जाती है तो, बजट सत्र में मुश्किल तय है।
तेजस्वी पहले से कर रहे बजट - सत्र में घेरने की तैयारी
बजट-सत्र को लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही संकेत दे दिया था कि विपक्ष की ओर से सरकार को घेरने की पूरी तैयारी है। वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि “बजट-सत्र में यदि एक-एक मंत्री 5-5 विभाग के बजट पर जबाब देंगे तो, विपक्ष पूरी तरह से हावी दिखेगा। संबंधित विभाग के बारे में मंत्री को जानकारी नहीं होगी तो, सदन में विपक्ष परेशान करेगा ही।” विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव यह भी कह चुके हैं कि सरकार विभागों के साथ न्याय करना नहीं चाहती है, इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं कर रही है। इससे आम लोगों से जुड़ा काम प्रभावित होगा।
19 फरवरी से 24 मार्च तक 22 दिन का सत्र
19 फरवरी से 24 मार्च तक बजट-सत्र है। कुल 34 दिनों में 10 साप्ताहिक अवकाश और 2 सरकारी छटि्टयां हैं। बचे 22 दिन। सत्र के पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। 22 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश किया जाएगा। 22 फरवरी को ही राज्यपाल के अभिभाषण पर वाद-विवाद होगा। 23 फरवरी को सरकार अपना जवाब रखेगी। 23 फरवरी को ही विधान परिषद के सदन में बजट को पेश किया जाएगा। विधानसभा में 1 मार्च से 5 मार्च तक बजट पर चर्चा होगी और परिषद में 8 से 16 मार्च तक बजट पर चर्चा होगी। 17 मार्च को सरकार का उत्तर होगा। 18 मार्च को राजकीय विधेयक और राजकीय कार्य के साथ 19 से 24 मार्च तक गैर सरकारी संकल्प का कार्य होगा।
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