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बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा ने राजद को जबरदस्त टक्कर दी। अब भाजपा इससे आगे की प्लानिंग कर रही है। रिजल्ट में राजद से महज एक सीट पीछे रह गई भाजपा अब राजद के 'माई' समीकरण में सेंधमारी करने में जुट गई है। बिहार में इस साल होने वाले पंचायत चुनावों में भाजपा मुस्लिम प्रत्याशियों को सपोर्ट करेगी। इसके लिए पार्टी ने बिहार में सभी जिला कार्यसमितियों को निर्देश भेज दिया है।
जिला कार्यसमितियों को मिला दायित्व
बिहार भाजपा 3 जनवरी से 14 जनवरी तक अपने 45 सांगठनिक जिलों में कार्यसमिति की मीटिंग आयोजित कर रही है। इसमें भाजपा के जिलों के सभी प्रमुख पदाधिकारी मौजूद होंगे। इन्हें पंचायत चुनाव से जुड़े अन्य कई निर्देशों के साथ ही एक अहम दायित्व सौंपा जाएगा। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि पंचायतों के उन मुसलमान नेताओं को चुनाव में खड़ा कराएं, जिनमें जीतने की क्षमता हो। साथ ही इस जीत के बाद भाजपा से जुड़े भी रहे। ऐसे नेताओं को भाजपा के पंचायत स्तर के प्रतिनिधि पूरा सहयोग करेंगे, जिससे उनके जीत की राह आसान हो सके।
राजद के 'माई' समीकरण में सेंधमारी की कोशिश
भाजपा को बिहार में अभी सबसे बड़ा खतरा राजद से है, जो एक विधायक ही सही, लेकिन उससे बड़ी पार्टी है। साथ में उसकी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी भी। ऐसे में, भाजपा के लिए राजद के मुस्लिम-यादव वोट बैंक को तोड़ना सबसे जरूरी है। यादवों पर भाजपा ने अपना असर दिखाया है, लेकिन मुसलमान वोटरों को तोड़ने में अभी पूरी तरह से असफल रही है। सहयोगी जदयू के खाते से भी मुसलमान वोटर निकल चुके हैं। ऐसे में भाजपा जमीनी तौर पर पंचायतों में मुसलमान नेताओं को अपने समर्थन में खड़ा करना चाहती है, जिससे उनके बीच आसानी से अपनी पैठ बना सके।
चुनौती में नई संभावनाएं देख रही भाजपा
पंचायत से लेकर विधायकों तक भाजपा मुसलमान जनप्रतिनिधियों को जोड़ने में लगभग असफल रही है। इस मामले में अभी तक वह जदयू पर निर्भर थी, लेकिन जिस तरह जदयू से मुसलमानों का वोट खिसका है, उससे भाजपा को इसमें नई संभावनाएं और चुनौती दोनों दिख रही हैं। यही वजह है की एक तरफ जहां वह राजद के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ जदयू से जुड़े पंचायत जनप्रतिनिधियों को भी अभी से ही अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है।
राजद के पास सबसे अधिक मुस्लिम विधायक
आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो फिलहाल सबसे अधिक मुस्लिम जनप्रतिनिधि राजद के पास हैं। इस बार सबसे ज्यादा 8 विधायक राजद से जीते हैं। इसके बाद पांच विधायक असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से, चार विधायक कांग्रेस से और एक-एक विधायक सीपीआई (एम) और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से जीते हैं। इस चुनाव में जदयू ने 11 मुस्लिम विधायकों को टिकट दिया था, लेकिन कोई भी नहीं जीत पाया।
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