कम्युनिस्ट नेता और JNU छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार 2 अक्टूबर को कांग्रेस में शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक, उस दिन गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी भी पार्टी में शामिल होंगे। पहले खबर आई थी कि शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर 28 सितंबर को कन्हैया पार्टी में शामिल होंगे, लेकिन अब इसे आगे बढ़ाया गया है। उनकी पिछले दिनों राहुल गांधी से दो बार मुलाकात हो चुकी है। दोनों मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर मौजूद रहे।
बिहार कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी खुलकर कुछ बोल तो नहीं रहे हैं, लेकिन वो इतना जरूर कह रहे कि 2 अक्टूबर को कांग्रेस में सभी गांधीवादी का स्वागत है। कन्हैया कुमार यदि शामिल होते हैं तो उनका स्वागत है। बता दें कि सबसे पहले भास्कर ने कन्हैया के कांग्रेस में जाने की खबर ब्रेक की थी।
कन्हैया के कांग्रेस में जाने की अटकलें
कन्हैया के कांग्रेस में जाने की चर्चा तब हुई, जब उन्होंने CPI मुख्यालय में अपना दफ्तर खाली कर दिया। CPI के अंदर कन्हैया को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद से ही सवाल उठने लगे थे। यहां तक कि अनुशासनहीनता को लेकर CPI की हैदराबाद में हुई बैठक में उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया था।
बिहार में लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस
कांग्रेस को पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कोई खास सफलता नहीं मिली है। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीट मिली थी, जो अक्टूबर 2005 में घटकर 9 रह गई। 2010 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को महज 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
2015 विधानसभा चुनाव में जब RJD और JDU के साथ कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी तो पार्टी को 27 सीटों पर जीत मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहने के बाद भी कांग्रेस महज 19 सीटें जीत सकी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में तो कांग्रेस को बिहार में एक सीट मिली थी। अपने पुराने परिणाम को देखते हुए कांग्रेस अब बिहार में नए नेतृत्वकर्ता के रूप में कन्हैया को लाना चाहती है।
JNU में लगे देश विरोधी नारों के बाद कन्हैया चर्चा में आए थे
1987 में बिहार में जन्मे कन्हैया कुमार 2015 में JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। JNU में लगे देश विरोधी नारों के बाद कन्हैया का नाम सभी की जुबान पर आ गया। 2019 में बेगूसराय से CPI के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनका सामना BJP के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से हुआ।
गिरिराज ने उन्हें 4 लाख 22 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। इसके बाद से पार्टी में उनको तरजीह देना कम कर दिया। इससे पहले कन्हैया बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मिले थे। इस साल भी CM नीतीश कुमार से मुलाकात हो चुकी है। तब अटकलें यह भी लगने लगीं थी कि कन्हैया JDU में शामिल हो जाएंगे, लेकिन BJP के साथ रहते JDU में कन्हैया की एंट्री मुश्किल है।
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