CPI (कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया) के फायरब्रांड नेता कन्हैया कुमार मंगलवार दोपहर तीन बजे कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे। कन्हैया कुमार दिल्ली के केंद्रीय कार्यालय में कांग्रेस की सदस्यता लेंगे। बताया जा रहा है कि इस दौरान कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रह सकते हैं। कन्हैया ने JNU (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी) के छात्र संघ अध्यक्ष के रूप में अपनी पहचान बनाई थी। इसके बाद CPI के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव भाजपा के गिरिराज सिंह के खिलाफ बेगूसराय सीट से लड़ा था, हालांकि वे हार गए थे।
सदस्यता से पहले भगत सिंह की प्रतिमा पर करेंगे माल्यार्पण
कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने से पहले कन्हैया कुमार दोपहर 2:30 बजे दिल्ली के ITO स्थित शहीद-ए-आजम भगत सिंह पार्क जाएंगे। यहां वे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इसके बाद वे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचेंगे। सदस्यता ग्रहण करने के बाद वे 3:30 बजे कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे। इस दौरान वह बताएंगे कि उनका पुराना अनुभव कैसा रहा और नई पार्टी में आने का उद्देश्य क्या है। कन्हैया कुमार के नजदीकी बताते हैं कि किसान आंदोलन को लेकर कन्हैया कुमार कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि यह पूरी रणनीति प्रशांत किशोर की है।
JNU में लगे देश विरोधी नारों के कन्हैया चर्चा में आए थे
कन्हैया 2015 में JNU छात्रसंघ के अध्यक्ष बने थे। JNU में कथित तौर पर लगे देश विरोधी नारों के बाद कन्हैया का नाम सभी की जुबान पर आ गया था। 2019 में बेगूसराय से CPI के प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव में उतरे तो उनका सामना BJP के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह से हुआ। गिरिराज ने उन्हें 4 लाख 22 हजार वोट के बड़े अंतर से हराया। इसके बाद से पार्टी में उनको तरजीह देना कम कर दिया।
बिहार में लगातार कमजोर हो रही कांग्रेस
कांग्रेस को पिछले 5 विधानसभा चुनावों में कोई खास सफलता नहीं मिली है। फरवरी 2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीट मिली थी, जो अक्टूबर 2005 में घटकर 9 रह गई। 2010 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को महज 4 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था।
2015 विधानसभा चुनाव में जब RJD और JDU के साथ कांग्रेस महागठबंधन का हिस्सा बनी तो पार्टी को 27 सीटों पर जीत मिली थी। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में रहने के बाद भी कांग्रेस महज 19 सीटें जीत सकी। वहीं, लोकसभा चुनाव 2019 में तो कांग्रेस को बिहार में एक सीट मिली थी। अपने पुराने परिणाम को देखते हुए कांग्रेस अब बिहार में नए नेतृत्व-कर्ता के रूप में कन्हैया को लाना चाहती है।
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