लोकपर्व छठ का खूबी है कि उससे समाज के कमोबेश हर जाति के लोगों का जुड़ाव किसी न किसी रूप में होता है। सूप बनाने वाली डोमिन से लेकर मिट्टी के चूल्हे और बर्तन बनाने वाले कुम्हार तक को इस पर्व की आस्था से जोड़ा गया है। यही वजह है कि यह महापर्व है। छठ स्वच्छता का भी महापर्व है। इसमें पंडित की कोई भूमिका नहीं है। भगवान भास्कर और छठ व्रती के बीच कोई मिडिएटर नहीं है, सभी सीधे भगवान से जुड़ते हैं और अपनी विनती करते हैं। इसी के साथ छठ के सूप पर चढ़ने वाले फलों का भी अपना महत्व है।
ये शरीर में कई तरह की विटामिन पूरा करते हैं- डॉ. दिवाकर तेजस्वी, सीनियर फिजिशियन
छठ में गेहूं के आटे से बना ठेकुआ, चावल के चौरठ से कसार लड्डू के साथ ही छह तरह के फल चढ़ाए जाते हैं जिनमें खास हैं केला, नारियल, ईख, डाभ नींबू, पानी वाला सिंघारा और सुपारी। इन छह फलों के अलावा भी कई तरह के फल लोग चढ़ाते हैं। लोगों की मान्यता है कि सूर्य षष्ठी व्रत होने की वजह से इसे छठ कहा जाता है। छठ माता को सूर्य की बहन कहा गया है। इसलिए छह तरह के फल से उनकी पूजा की जाती है। यह प्रकृति द्वारा दिए गए फल और अनाज के प्रति सम्मान प्रकट करने का पर्व भी है।
हम सबसे पहले उस सूर्यदेव को इसे अर्पित करते हैं जिसकी वजह से पौधे बढ़ते हैं और उनमें फल होते हैं। सूर्य की रोशनी की मदद से ही पौधे अपना भोजन बनाते हैं। सीनियर फिजिशियन डॉ. दिवाकर तेजस्वी कहते हैं कि छठ के सूप पर चढ़ाए जाने वाले सभी फलों का स्वास्थ्य की दृष्टि के काफी महत्व है। वे ठेकुए का महत्व भी बताते हैं कि पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है और ज्यादा दिनों तक इसे खाने के लिए रखा जा सकता है। वे फलों के गुण जिस तरह से बताते हैं उससे साफ है कि ये फल साल भर में शरीर में हुए कई विटामिन की कमी पूरी करते हैं।
इन छह फलों के प्रसाद का महत्व जानिए
नारियल- यह प्रेम,संपन्नता, मातृत्व और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। नारियल ऊपर से काफी कठोर होता है लेकिन अंदर पानी भरा होता है। इसलिए इसे संपन्नता का प्रतीक माना गया है। शुभ कार्य की शुरुआत नारियल फोड़कर इसलिए की जाती है। इसमें एंटी-वायरल, एंटी, बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-पैरासेटिक गुण होते हैं। नियमित रूप से थोड़ी मात्रा में नारियल खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
केला- यह शक्ति और संपन्नता का भाव देने वाला फल है। इसमें पोटैशियम पाया जाता है। अन्य मीठे फलों की तुलना में इसमें कैलोरी कम पाया जाता है इसलिए इसे यह वजन को नियंत्रित रखने वाला फल माना जाता है। इसमें विटामिन सी, कॉपर आदि की भी पर्याप्त मात्रा पाया जाता है।
ईख- यह तुरंत एनर्जी देने वाला फल है। मिठास के साथ ही सुख-समृद्धि का प्रतीक है। यह लिवर को डिटॉक्सीफाई करता है। ऑस्टियोपोरोसिस से बचाता है। यूरिन इंफेक्शन की समस्या से छुटकारा देता है और स्किन को फायदा पहुंचाता है।
डाभ नींबू- यह ऊर्जा का प्रतीक है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट कई मौसमी संक्रमण और बीमारियों से दूर रखता है।
पानी फल सिंघारा- सिंघाड़ा शरीर के लिए मैंगनीज का अवशोषक करने में सक्षम होता है जिससे शरीर को मैंगनीज का भरपूर लाभ मिलता है। यह पाचन तंत्र लिए काफी बढ़िया माना जाता है। यह एसिटिडी को भी खत्म करता है।
सुपारी- ये फल शुभ माना जाता है। इसलिए आम तौर पर सभी पूजा में इसे चढ़ाया जाता है। यह स्ट्रोक का खतरा कम करता है। सुपारी की पत्तियों में फ्लेवोनोइड, एल्कलॉइड, टेरपीनोइड, टैनिन, सायनोजेनिक, ग्लूकोसाइड, आइसोप्रेनॉइड, एमिनो एसिड और यूजेनॉल जैसे तत्व पाए जाते हैं जो मानसिक और हृदय से जुड़ी बीमारियों में फायदा पहुंचाते हैं।
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