तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव में नीतीश का तीर निशाने पर लगा। सबसे खास बात रही कि लालू प्रसाद यादव किडनी और हार्ट की गंभीर बीमारियों के बावजूद चुनाव प्रचार में उतरे। छह साल बाद वे मंच पर दिखे। सीपीआई से कांग्रेस में आने के बाद कन्हैया कुमार पहली बार बिहार के चुनाव प्रचार में उतरे। उपचुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बयान सबसे अधिक सुर्खियों में रहे।
विधान सभा चुनाव में महागठबंधन के साथी रहे और इस चुनाव में अलग कर दिए गए कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास को लालू प्रसाद ने 'भकचोन्हर' कहकर एक तरह से चुनाव प्रचार का अभियान छेड़ा था। लालू प्रसाद का यह बयान भी खूब चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे नीतीश सरकार का विसर्जन करने आए हैं। इस बयान की प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान इससे भी अधिक चर्चा में रहा।
नीतीश कुमार ने कहा, 'लालू प्रसाद चाहें तो हमको गोलिए मरवा दें।' यह बयान देकर नीतीश कुमार ने 'लालू राज' की तरफ जैसे इशारा कर दिया। इस बयान का सहानूभूतिपूर्ण असर वोटिंग में हुआ। लालू प्रसाद से ज्यादा कड़ा बयान नीतीश कुमार ने दिया और लालू प्रसाद ने इस बयान का जवाब देने के बजाय चुप रहना बेहतर समझा।
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तेजप्रताप ने भी खूब बटोरी सुर्खियां
राजद विधायक और लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव का रुठना-मनाना भी उपचुनाव में खूब चला। लालू प्रसाद पटना पहुंचे और सीधे राबड़ी आवास चले गए तो तेजप्रताप ने अपने आवास पर धरना दे दिया। वे तब माने, जब लालू प्रसाद और राबड़ी देवी, तेजप्रताप के आवास पर पहुंचे और तेज ने लालू प्रसाद का पैर धोया।
तेजप्रताप ने छात्र जनशक्ति परिषद के पैड पर यह घोषित कर दिया था कि कुशेश्वर स्थान में कांग्रेस का चुनाव प्रचार करने जाएंगे। लालू प्रसाद के मनाने पर वे नहीं गए। हां, वे पिता के संग चुनाव प्रचार में जाना चाहते थे लेकिन लालू प्रसाद उन्हें अपने साथ नहीं ले गए। गुस्साए तेजप्रताप ने ट्वीट कर कहा- 'एक बार फिर जगदानंद के द्वारा पार्टी को तोड़ने का और पिताजी के साथ चुनावी प्रचार में जाने से रोका गया'।
तेजस्वी यादव ने तारापुर में खेत किनारे बंसी डाल मछली फंसाया। मछली को हाथ में लेकर फोटो खिंचाई तो तेजप्रताप ने नसीहत दी कि मछली को इस तरह से तड़पाना ठीक नहीं। वहां के बच्चों को कॉपी पेंसिल आदि देना चाहिए था।
कांग्रेस को हो गया अपनी ताकत का अहसास
उपचुनाव में कांग्रेस को अपनी संगठनात्मक ताकत का अहसास हो गया। दोनों ही जगह कांग्रेस कहीं से भी रेस में नहीं रही। कांग्रेस के नेता दोनों सीटों पर जीत का दावा करते रहे, लेकिन कांग्रेस का असली मकसद जैसे न जीतेंगे और न राजद को जीतने देने का था!
विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर कुशेश्वरस्थान की सीट कांग्रेस के पास थी। राजद ने जब तारापुर सहित कुशेश्वरस्थान से भी उम्मीदवार दे दिया, तो कांग्रेस ने भी गुस्से में दोनों स्थानों से उपचुनाव में उम्मीदवार उतार दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कहते रहे कि पार्टी आगे भी राजद के साथ गठबंधन नहीं करेगी और अकेली लोकसभा का चुनाव भी अपने बल पर लड़ेगी। लेकिन लालू प्रसाद ने अपने बयान से नया माहौल बना दिया।
उन्होंने कह दिया कि सोनिया गांधी से उनकी बातचीत हुई है। इस बातचीत का खंडन कांग्रेस के कई नेताओं ने किया। लालू प्रसाद ने एलान कर दिया था कि उपचुनाव में दोनों सीटें हम जीतेंगे तो भागमभाग मच जाएगी। खेला होगा बिहार में! नीतीश कुमार जीत गए। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम का भी असर हुआ।
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