बिहार के किसी सरकारी अस्पताल में पहली बार लेसिक लेजर के जरिए आंखों का चश्मा हटाया गया। तीन लोगों की आंखों की लेसिक लेजर से इलाज किया गया। आईजीआईएमएस के क्षेत्रीय चक्षु संस्थान में दिल्ली एम्स के राजेन्द्र प्रसाद नेत्र संस्थान के डॉक्टर प्रो. राजेश सिन्हा इसके लिए पटना आए। आईजीआईएमएस में डॉ. नीलेश मोहन ने उनके सहयोग से इलाज किया।
प्राइवेट अस्पतालों में एक आंख के लिए यह सुविधा लेने पर 20 हजार देने होंगे। वहीं, आईजीआईएमएस मे खर्च आएगा साढ़े नौ हजार। लेसिक लेजर सर्जरी के दौरान पुतली (कॉर्निया) को फिर से नए सिरे से आकार दे दिया जाता है। दैनिक भास्कर संवाददाता प्रणय प्रिंयवद ने इस मामले पर डॉ. प्रो. राजेश सिन्हा से बातचीत की।
सवाल- कितनी उम्र में यह इलाज हो सकता है?
जवाब- चश्मा हटाने की लेसिक सर्जरी वन टाइम प्रोसिज्योर होता है। 18 साल से ऊपर व्यक्ति को ही यह किया जा सकता है। 18 से ऊपर 40 तक किया जा सकता है। इससे क्वालिटी ऑफ लाइफ काफी इंप्रूव हो जाता है। सभी अच्छा दिखना चाहते हैं। मेकअप में आसानी हो जाती है।
सवाल- महिलाओं को ज्यादा सुविधा होती होगी इस इलाज से?
जवाब- लेडीज में काफी फायदा है। मैंने 40-41 साल की महिलाओं का भी लेसिक लेजर किया है। उनका कहना था कि आंखों के मेकअप आदि में उन्हें काफी दिक्कत होती है। सर्जरी के बाद उन्होंने बताया कि मेरी क्वालिटी ऑफ लाइफ काफी बदल गई, मुझे और पहले यह करवाना चाहिए था। चश्मा उतारना सिर्फ अच्छा दिखने लिए ही जरूरी नहीं है। चश्मे पर निर्भरता भी खत्म हो जाती है।
सवाल- इस सर्जरी में कितना समय लगता है ?
सवाल- एक आंख की सर्जरी पहले करते है और उसके बाद उसी समय दूसरे आंख की। एक में पांच से सात मिनट का समय लगता है। यानी दोनों आंखों की लेसिक लेजर करने में 25 मिनट का समय लगता है।
सवाल- रिकवरी का समय क्या है ? मरीज कब तक ठीक से देख सकता है?
जवाब- हम सर्जरी के बाद सलाह देते हैं कि अगर आज सर्जरी करवाई तो आंख बंद कर दिन भर सोता रहे। अलग दिन सुबह या छह-आठ घंटे के बाद वह नॉर्मल फील करता है। शुरुआत में हल्की सी चुभन होती है क्योंकि एक फ्लैप बनाकर क्राॉनिया में करते हैं। हम आई ड्राप भी देते हैं। यानी एक-दो दिन में मरीज नॉर्मल हो जाता है।
सवाल- दिल्ली एम्स के डॉक्टर करेंगे या आईजीआईएमएस के डॉक्टर ?
जवाब- छह आंखों की सर्जरी आईजीआईएमएस के डॉक्टर निलेश मोहन ने ही किया है। मैंने बस इनिशियल इंस्ट्रक्शन दिया है। हल्का-फुल्का गाइड किया है। उन्होंने बड़े अच्छे से लेसिक लेजर किया। मैंने बाद में मरीज को देखा भी और पाया कि बिल्कुल ठीक से इलाज हुआ।
तीन मरीजों की सर्जरी डॉ. नीलेश मोहन ने किया। डायरेक्टर डॉ. विभूत प्रसन्न सिन्हा की पहल से यह हो पाया। सरकारी अस्पताल में लेसिक लेजर की सुविधा होने से काफी लोगों की क्वालिटी ऑफ लाइफ इंप्रूव हो सकेगी।
सवाल- मरीजों को आर्थिक रुप से भी फायदा होगा ?
जवाब- हां यह भी बड़ा फायदा है। अभी सर्जरी तो काफी कम समय में हो गई पर पिछले दो साल से इसकी कोशिश की जा रही थी, तैयारी की जा रही थी। काफी कम पैसे में लोगों की सुविधा मिल सकेगी।
सरकारी अस्पताल में यह सुविधा होने से काफी लोगों को फायदा होगा। यह सरकार का भी एचीवमेंट है। लेसिक रेसर के साथ-साथ माइक्रो कैरोटोम मशीन भी यहां लगी है। इससे क्रॉनिया की सर्जरी ज्यादा इंप्रूव हो सकेगी।
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