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पाकिस्तान के जेलों में कैद हैं 83 भारतीय सैनिक:राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में बिहार के एडवोकेट की याचिका पर विदेश मंत्रालय के जवाब से हुआ खुलासा, 9 जून को दायर की गई थी याचिका

पटना2 वर्ष पहले
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याचिका दायर करने वाले वकील एसके झा। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar
याचिका दायर करने वाले वकील एसके झा। (फाइल फोटो)

पाकिस्तान के अलग-अलग जेलों में कुल 83 भारतीय सैनिक कैद हैं। इस बात का खुलासा विदेश मंत्रालय के एक लेटर से हुआ है। दरअसल, इस बारे में जानने के लिए बिहार के एडवोकेट एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक अपील दायर की थी। इसी मामले में देश के विदेश मंत्रालय को जवाब देना पड़ा है।

दरअसल, वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध हुई थी। युद्ध में भारत के हाथों पाकिस्तान की शर्मनाक शिकस्त हुई थी, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के नाम से एक नए देश का उदय हुआ था। युद्ध के बाद भारत के 54 वीर सैनिकों और अधिकारियों को Missing in Action या फिर Killed in Action घोषित किया गया। ऐसा माना जाता है कि ये सैनिक आज भी जिंदा हैं और पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में कैद हैं।

9 जून को दायर की थी याचिका

इस मामले के संबंध में बिहार के मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के मानवाधिकार मामलों को लेकर हमेशा अपनी आवाज़ उठाने वाले एडवोकेट एसके झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष इसी साल 9 जून को एक याचिका दायर की थी। इसके बाद आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्रालय से जवाब मांगा था। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान मामलों की अवर सचिव नेहा सिंह ने 9 अगस्त को एक पत्र जारी कर बताया है कि " अब तक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद हैं।

पाकिस्तान नहीं करती है स्वीकार

भारत सरकार लापता हुए 83 भारतीय सैनिकों की शीघ्र रिहाई और उनकी देश वापसी का मामला राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान सरकार के साथ बार-बार उठा रही है, जिसमें वे युद्ध-बंदी भी शामिल है। जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे पाकिस्तान की हिरासत में हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में किसी भी भारतीय सैनिक के होने की बात को स्वीकार नहीं किया है।

सरकार को इस मामले की जानकारी है और ये लगातार पाकिस्तान सरकार के साथ इस मामले को उठाती रहती है। एडवोकेट एसके झा का मानना है कि भारत सरकार को बिना किसी देरी के इस मामले में ठोस निर्णय लेने की जरुरत है, जिससे भारतीय सैनिकों की वतन वापसी संभव हो सके।

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