कोरोना की तीसरी लहर की दहशत के बीच अगर आपको एम्बुलेंस चाहिए तो 102 डायल नहीं कीजिए, क्योंकि यह माल ढुलाई में लगी है। सरकार की यह सेवा सिर्फ दिखावे के लिए है। इसका आमजन को कोई लाभ मिलने वाला नहीं है। अधिकारियों का आदेश पर आदेश जारी होता है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। पटना में जहां सिविल सर्जन के साथ विभाग के कई जिम्मेदार अफसर बैठते हैं, वहां से एम्बुलेंस में खुलेआम सामान ढोए जा रहे हैं। बुधवार को फिर एम्बुलेंस से दवाइयां ढोने का मामला आया है।
भास्कर ने कई बार किया बड़ा एक्सपोज
दैनिक भास्कर ने कई बार एम्बुलेंस को लेकर एक्सपोज किया है। एम्बुलेंस से दवा से लेकर चूना ढोया जा रहा है। भास्कर के हाथ राज्य स्वास्थ्य समिति का पत्र भी लगा था, जिससे यह बात साफ हो गई थी कि कोरोना काल में लोगों को एम्बुलेंस क्यों नहीं मिल पा रही थी। संक्रमण के दौरान लोग 102 नंबर डायल कर परेशान थे और एम्बुलेंस नहीं मिल रही थी। इसका बड़ा कारण था कि एम्बुलेंस से सामान ढोए जा रहे थे। इस खुलासे के साथ भास्कर ने यह भी एक्सपोज किया था कि बिहार में कोरोना काल के दौरान सामानों की ढुलाई करने से 50 प्रतिशत एम्बुलेंस क्षतिग्रस्त हो गई हैं। इसके बाद विभाग में हड़कंप मचा और जिम्मेदारों से स्पष्टीकरण मांगा जाने लगा, लेकिन इसके बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी और सामानों की ढुलाई जारी है।
सिविल सर्जन कार्यालय में टूट रहा नियम
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने राज्य के सभी DM और सिविल सर्जन को पत्र जारी कर एम्बुलेंस में ढोए जा रहे सामान पर तत्काल रोक लगाने को कहा था। पत्र में कहा गया था कि एजेंसी ने सूचना दी है कि ऐसा करने से एम्बुलेंस खराब हो रही हैं। ऐसे में मरीजों के सामने बड़ा संकट होगा। इस पत्र के बाद भी जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। न तो DM की तरफ से सख्ती हुई और न ही सिविल सर्जन ने कोई कड़ा एक्शन लिया। इसका परिणाम हुआ कि जिस तरह पहले सामानों की ढुलाई हो रही थी, उसी तरह अब भी सामान ढोए जा रहे हैं। सिविल सर्जन कार्यालय में ही नियम टूट रहा है, जबकि सिविल सर्जन को निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। पटना के गर्दनीबाग में सिविल सर्जन कार्यालय है और यहां दवा का स्टोर भी है। यहां से जिले के सभी सेंटरों पर दवाएं जा रही हैं। इसे एंबुलेंस से ही भेजा रहा है और कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है।
स्टोर इंचार्ज की मिलीभगत से हो रहा खेल
जिला स्टोर के इंचार्ज से मिलीभगत के कारण एंबुलेंस से दवा ढोने का खेल चल रहा है। इस पर काई ध्यान देने वाला नहीं है। सिविल सर्जन डॉ विभाग सिंह की जानकारी में मामला आता है, लेकिन वह भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाई हैं। जिम्मेदारों की मनमानी के कारण एंबुलेंस से सामान ढोए जा रहे हैं, जिससे वह कंडम हो रही है। अब अगर तीसरी लहर आई तो लोगों को एंबुलेस कैसे मिलेगी यह बड़ा सवाल है, क्योंकि 50 प्रतिशत एंबुलेंस तो सामानों की ढुलाई में ही खराब हो गई हैं।
सामानों की ढुलाई के लिए हटा दे रहे नंबर
एंबुलेंस चालक सामानों की ढुलाई के लिए एंबुलें के नंबर प्लेट तक हटा दे रहे हैं। बिना नंबर के ही सामानों की ढुलाई हो रही है, जिससे कोई पकड़ नहीं पाए। स्टोर इंचार्ज और संबंधित हॉस्पिटल के प्रभारी आपस में बात कर ले रहे हैं, जिससे एंबुलेंस में सामान ढोया जा रहा है। बुधवार को ऐसा ही एंबुलेस था, जिसमें सिविल सर्जन कार्यालय से सामानों की ढुलाई की जा रही थी। मामला DM पटना डॉ चंद्रशेखर सिंह तक पहुंचा तो हड़कंप मचा, लेकिन शाम तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और बिना डर-भय के ही एंबुलेस से दवाएं दुल्हिन बाजार ले जाई गई। बुधवार को 102 नंबर की गई एम्बुलेंस से दवाएं अस्पतालों में पहुंचाई गई हैं, इस पर अंकुश लगाने वाला कोई नहीं था। अब सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग के आदेश का जब सिविल सर्जन कार्यालय में ही पालन नहीं होगा तो अस्पतालों पर इसका क्या असर होगा।
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