पटना मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड में जिंदा को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में हेल्थ मैनेजर को टर्मिनेट कर दिया गया है। PMCH ने बड़ी गलती के लिए 'छोटे प्यादे' को सजा दी है, जिसमें हेल्थ मैनेजर को हटाया गया है। घटना के बाद आननफानन में मामले की जांच कराई गई और मात्र 3 घंटे में पूरा चैप्टर क्लोज कर दिया गया। PMCH प्रशासन ने इस जांच में क्या पाया, इसमें सिर्फ इतना बताया है कि हेल्थ मैनेजर अंजली कुमारी ने बॉडी की चेकिंग और एग्जामिनेशन में लापरवाही की है। ऐसे में सजा का फंदा उसके गले में डाल दिया गया है। इतने बड़े मामले में हुई कार्रवाई ने भी सिस्टम पर सवाल खड़ा किया है।
कौन है मौत का प्रमाण पत्र जारी करने वाला डॉक्टर
चुन्नू कुमार की मौत का प्रमाण पत्र जारी करने वाला डॉक्टर कौन है? डॉक्टर ने बिना एग्जामिनेशन किए कैसे मौत का प्रमाण पत्र जारी कर दिया? यह भी बड़ा सवाल है। प्रमाण पत्र पर सिग्नेचर ऑफ अटेंडिंग डॉक्टर की जगह हस्ताक्षर किसका है? किसने यह प्रमाणित किया कि चुन्नू की मौत हो गई है? अगर चुन्नू की मौत नहीं हुई तो फिर प्रमाण पत्र में उसके बारे में पूरी जानकारी कहां से किसने दर्ज की है?
इस सवाल का कौन देगा जवाब
पटना मेडिकल कॉलेज द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में चुन्नू कुमार के पिता का नाम और उनका पूरा पता सब सही सही भरा गया है। रजिस्ट्रेशन नंबर भी C- 909 सही-सही भरा गया है। वार्ड का नाम और बेड संख्या तक पूरी तरह से सही भरी गई है। चुन्नू जिस डेट में एडमिट हुआ वह जानकारी भी सही-सही 8 अप्रैल दर्ज की गई है। एडमिशन की डेट पूरी तरह से सही है लेकिन मौत की तारीख गलत है क्योंकि चुन्नू अभी जिंदा है। चुन्नू की मौत का समय PMCH ने 11 अप्रैल 2021 की सुबह 9.35 बजे बताया है। अब सवाल यह है कि क्या सिर्फ हेल्थ मैनेजर ही इस बड़ी घटना के लिए जिम्मेदार है। डेथ प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले डॉक्टर ने क्यों नहीं यह जाना कि मरने वाले से संबंधित जो जानकारी दर्ज की जा रही है वह सही है या गलत?
डॉक्टर ने घोषणा करते हुए जारी किया है प्रमाण पत्र
मृत्यु प्रमाण पत्र में कथित मृतक चुन्नू से संबंधित पूरी जानकारी दी गई है। इसमें नीचे डॉक्टर की तरफ से घोषणा की गई है। कहा गया है कि पूरी तरह से जांच की गई है जिसमें पाया गया है कि मरीज क्लीनिकली डेड है। इसके बाद लिखा गया है कि डेड बॉडी मृतक के परिजन या रिश्तेदारों को सौंपा जा रहा है। इसके बाद मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले डॉक्टर का हस्ताक्षर है। हस्ताक्षर से पता नहीं चल रहा है कि कौन डॉक्टर है और पटना मेडिकल कॉलेज इसकी जानकारी नहीं दे रहा है। लेकिन जांच में कार्रवाई कर हेल्थ मैनेजर की गर्दन नापने के बाद जिम्मेदार खुद बचने का प्रयास कर रहे हैं। इस पूरी कार्रवाई में कई ऐसे सवाल हैं जो पूरे मामले को और गंभीर बना रहे हैं। जिंदा को मृत बताने के गंभीर मामले में हुई कार्रवाई बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
जीवित का मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करना बड़ा अपराध
पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मणिभूषण प्रताप सेंगर का कहना है कि दंड प्रक्रिया संहिता के तहत केस चलना चाहिए। भारतीय दंड संहिता की धाराएं जालसाजी, कानूनी दस्तावेजों में छेड़छाड़ की धाराएं चलनी चाहिए। अपने कर्तव्य का निर्वहन न करने की भी धाराएं चलनी चाहिए। अधिवक्ता ने इसे घोर अपराध बताते हुए एक उदाहरण दिया। बताया कि अगर कोई बड़ा अपराधी अस्पताल में जाता है, वह जीवित रहता है और भूलवश किसी तरह ऐसे ही उसके नाम पर मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत कर दिया गया। मामला प्रकाश में नहीं आया तो इस स्थिति में एक अपराधी दंड पाने से बच जाएगा और दूसरा पीड़ित व्यक्ति न्याय से वंचित हो जाएगा।
अब गर्भवती महिला को बनाया नया हेल्थ मैनेजर
PMCH प्रशासन बौखलाहट में गलती पर गलती किए जा रहा है। हेल्थ मैनेजर अंजलि पर कार्रवाई करते हुए जो नई तैनाती की है, उसमें भी बड़ा खेल कर दिया है। आर्थो से अनीता को कोविड में लगाया गया है। अनीता 5 माह की गर्भवती है। गर्भवती महिलाओं की ड्यूटी कोविड में नही लगाई जा सकती है। PMCH को या तो कर्मचारियों की जानकारी नहीं या तो जमकर मनमानी की जा रही है।
DM ने लापरवाही रोकने की पुख्ता व्यवस्था करने को कहा
पटना के DM डॉ चंद्रशेखर सिंह ने PMCH के प्राचार्य एवं अधीक्षक को पत्र भेज कर सख्त निर्देश दिया है। उन्होंने इस मामले की लापरवाही एवं कुप्रबंधन की जांच कर जवाबदेही तय करने तथा दोषी के विरुद्ध कठोर अनुशासनिक कार्रवाई कर 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया है। साथ ही भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही की पुनरावृति रोकने की पुख्ता व्यवस्था करने को भी कहा है।
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