बिहार विधानसभा के सौ साल पूरा होने पर गुरुवार को शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने विधानसभा परिसर में बने शताब्दी स्मृति स्तंभ का शिलान्यास किया। साथ ही विधानसभा परिसर में पवित्र बोधि वृक्ष का पौधा भी लगाया।
राष्ट्रपति का स्वागत विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। बिहार की धरती आकर अभिभूत राष्ट्रपति ने यहां से अपने लगाव काे बताया। उन्होंने कहा- "बिहार आता हूं तो लगता है अपने घर आया हूं। चाहता हूं कि देश की आजादी के सौ साल पूरे होने तक बिहार अग्रणी राज्य बने। '
CM नीतीश कुमार ने कहा- "रामनाथ कोविंद जी का रिश्ता बिहार से खास रहा है। यह बिहार के राज्यपाल 2 वर्ष तक रहे और राज्यपाल रहते हुए सीधे राष्ट्रपति बने, इन्हें हम बिहारी भी कहते हैं। इनसे हमारा संबंध बहुत ही मधुर है। इस कारण हम अक्सर कहते हैं असली बिहारी आप ही हैं। विश्व शांति स्तूप के उद्घाटन में भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 2019 अक्टूबर में आए थे।'
बिहारी सुनकर खुश हुए राष्ट्रपति
मुख्यमंत्री से अपने लिए बिहारी शब्द सुनते ही राष्ट्रपति गदगद हो गए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा- "मुख्यमंत्री जी जब मुझे बिहारी राष्ट्रपति के रूप में संबोधित कर रहे थे, तो मैं अंदर से गदगद महसूस कर रहा था, क्योंकि यह देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू की धरती है। यहीं के राज्यपाल रहे डॉक्टर जाकिर हुसैन साहब बाद में उप राष्ट्रपति बने, फिर राष्ट्रपति बने थे। उन्होंने जो विरासत छोड़ी है, उस विरासत को आगे बढ़ाने का दायित्व मुझे मिला। सचमुच जब मैं बिहार आता हूं तो मुझे लगता है कि मैं अपने घर में आया हूं।'
बिहार का निमंत्रण टाल नहीं पाते
राष्ट्रपति ने कहा- "कभी-कभी लोग हमारे सचिवालय में ही सवाल कर देते हैं आप बिहार का कोई भी निमंत्रण हो तो कभी टालमटोल नहीं करते? मैं कहता हूं कि बिहार से मेरा सिर्फ राज्यपाल का ही नाता नहीं है, बल्कि कुछ और भी नाता है। इस नाते को मैं ढूंढता रहता हूं। यहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।'
उन्होंने कहा- "कुछ दिनों बाद हम सभी देशवासी दीपावली और छठ का त्योहार मनाएंगे। छठ पूजा अब ग्लोबल फेस्टिवल बन चुका है। नवादा से न्यूजर्सी तक और बेगूसराय से बोस्टन तक छठी मैया की पूजा बड़े पैमाने पर की जाती है। यह इस बात का प्रमाण है कि बिहार की संस्कृति से जुड़े उद्यमी लोगों ने विश्व स्तर पर अपना स्थान बनाया है। मुझे विश्वास है कि इसी प्रकार स्थानीय प्रगति के सभी आयामों पर भी आप मानदंड स्थापित करेंगे।'
2047 तक बिहार बने अग्रणी राज्य
अंत में राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा- "राज्य की जनता आप सभी जनप्रतिनिधियों को अपना भाग्य विधाता मानती है और उनकी आशाएं और आकांक्षाएं आपसे जुड़ी है। मुझे विश्वास है कि आप सभी विधायक अपने आचरण और कार्यशैली से जनता की आशाओं को यथार्थ रूप देने का प्रयास करते रहेंगे। मुझे विश्वास है कि 2047 तक यानी देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक बिहार ह्यूमन डेवलपमेंट के पैमानों पर एक अग्रणी राज्य बन सकेगा।'
अगली बार PM मोदी को भी बुलाएंगे: CM
नीतीश कुमार ने कहा- "22 मार्च 2009 से बिहार दिवस के रूप में हम लोगों ने कार्यक्रम मनाना शुरू किया है। 2012 में राज्य के 100 साल पूरा होने पर शानदार कार्यक्रम हुआ था। उस समय बिहार विधान परिषद के सभापति रहे स्व. तारा कांत झा ने बहुत मेहनत किया था। उसे याद रखना चाहिए। हम लोग इस तरह के कार्यक्रमों को करते रहेंगे। अगली दफा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस तरह के कार्यक्रम में बुलाने की योजना है।'
विधानसभा अध्यक्ष ने पांच संकल्प दिए
विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने स्वागत भाषण में मंच से पांच संकल्प दिए। उन्होंने कहा- "हमारा समाज नशा, अपराध, दहेज मुक्त होगा। हमारा परिवार बाल विवाह मुक्त होगा। हमारा परिवार बाल श्रम मुक्त होगा।'
बता दें, इससे पहले राष्ट्रपति सुबह 10:50 बजे विधानसभा परिसर पहुंचे। उनके मंच पर पहुंचते ही राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। सुबह 11:12 बजे दीप प्रज्जविलत कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के बाद CM नीतीश कुमार और उसके बाद राज्यपाल फागू चौहान ने अपना संबोधन दिया। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 11: 55 बजे अपना संबोधन शुरू किया। राष्ट्रपति का संबोधन समाप्त होने के बाद बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह धन्यवाद दिया। इसके बाद राष्ट्रगान की धुन बजाई गई। 12:20 बजे कार्यक्रम की समाप्ति हो गई।
कार्यक्रम से तेजस्वी ने किया किनारा
तय कार्यक्रम के अनुसार, सुबह 11:25 बजे प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को भाषण देना था, लेकिन उन्होंने कार्यक्रम में आने से इनकार कर दिया। वो भाषण के लिए तीन मिनट समय देने से नाराज बताए जा रहे हैं। "सदन में विमर्श ही संसदीय प्रणाली का मूल है" इस विषय पर ही सभी लोगों ने व्याख्यान दिया।
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