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बिहार में 4638 पदों के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में अभी और समय लगेगा। पीटिशनर के वकील सत्यं शिवम सुंदरम ने भास्कर को बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर की जो बहाली निकली है, उसमें 50 फीसदी सीटें सामान्य कोटि की होनी चाहिए। यह नहीं होना गलत है। कोर्ट को आरक्षण से जुड़े कई चर्चित केस का हवाला भी दिया गया। इंदिरा सहनी केस का हवाला भी इसी क्रम में कोर्ट के सामने दिया गया। 6 अप्रैल को केस की सुनवाई के क्रम में विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने कहा कि सरकार ने जो रिक्यूजिशन दिया, उसी के अनुसार वैकेंसी निकाली गई है। इसके बाद कोर्ट ने सरकार और सभी यूनिवर्सिटी को 3 सप्ताह का समय काउंटर फाइल करने के लिए दिया है।
फरवरी में ही इंटरव्यू शुरू कराना था
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने कहा था कि फरवरी में इंटरव्यू शुरू करा दें। नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया साल 2021 में ही पूरी करा देने की भी बात कही थी, लेकिन सच यह है कि अभी तक इंटरव्यू के लिए तारीख की घोषणा आयोग नहीं कर पाया है। बिहार के 13 विश्वविद्यालयों के 52 विषयों में 4638 पदों पर नियुक्ति के लिए यह प्रक्रिया चल रही है। इसमें सबसे अधिक आवेदन बिहार और उसके बाद उत्तर प्रदेश से आए हैं।
बैकलॉग की वैकेंसी अलग से निकालने की मांग
पटना हाईकोर्ट में इस नियुक्ति से जुड़ा आरक्षण रोस्टर का मामला चल रहा है। गेस्ट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रदेश संयोजक अमोद प्रबोधि ने आरक्षण रोस्टर का सवाल पटना हाईकोर्ट में उठाया है। वे कहते हैं कि आरक्षण प्रक्रिया के अनुसार नहीं है। झारखंड में बैकलॉग के लिए वैकेंसी अलग से निकाली गई थी। उसी के अनुसार बिहार में भी वे बैकलॉग की वैकेंसी अलग से निकालने की मांग करते हैं।
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