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शहाबुद्दीन की 'विरासत' बांटने की तैयारी:पटना में पत्नी करवा रहीं हैं इलाज; हाल-चाल पूछने आ रहे नेता, बेटे ओसामा से राजनीति भी खूब बतिया रहे

पटना2 वर्ष पहलेलेखक: प्रणय प्रियंवद
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ओसामा(दाएं) और हिना शहाब(बाएं)। फाइल फोटो
  • ओसामा अपने बाप की 'लार्जर दैन लाइफ' छवि से अपनी अलग इमेज गढ़ पाते हैं कि नहीं यह सबसे बड़ी चुनौती

RJD के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन जब बीमार थे और दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था उस समय उनकी ही पार्टी का कोई बड़ा नेता उन्हें देखने नहीं गया था। उनके अंतिम संस्कार के समय भी यही बेरुखी दिखी थी। निधन के बाद शहाबुद्दीन के घर पर उनकी पार्टी RJD सहित JDU और अन्य पार्टी के नेताओं ने भी जाकर मुलाकात की। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब पटना के एक बड़े अस्पताल में अपना इलाज करा रही हैं तब उनका हालचाल पूछने के बहाने राजनीति भी खूब हो रही है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव आदि नेता भी ओसामा से मुलाकात कर चुके हैं। ओसामा शहाब से मिलने तो अस्पातल में चिराग पासवान भी गए थे।

शहाबुद्दीन के नाम पर बनेगा 100 बेड का अस्पताल

हिना शहाब, पति शहाबुद्दीन के निधन के बाद डिप्रेशन में हैं। साथ ही उन्हें पेट से जुड़ी बीमारी और सोडियम आदि की कमी भी शिकायत है। उनके घुटने में दर्द का इलाज भी पटना में चलता रहा है। शहाबुद्दीन के बाद उनकी विरासत संभालने का दबाव उनके बेटे ओसामा पर है। वह पिता मोहम्मद शहाबुद्दीन की याद में 100 बेड का अस्पताल भी बनवाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले दिनों सीवान इंजीनियरिंग कॉलेज के पास जमीन भी देखी है।

कई चुनौतियां हैं शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के सामने

शहाबुद्दीन के समर्थकों में इस बात का गुस्सा काफी था कि बुरे वक्त में उनकी पार्टी ने ठीक से साथ नहीं दिया। इस गुस्से में कई नेताओं ने पार्टी भी छोड़ दी थी, लेकिन अब जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है ओसामा का झुकाव भी राष्ट्रीय जनता दल के प्रति दिख रहा है। दूसरी तरफ सीवान में शाहबुद्दीन के दुश्मन माने जाने वाले खान ब्रदर्स की ताकत बढ़ती दिख रही है। रईस खां लोगों से मिल रहे हैं और राजनीतिक माहौल बना रहे हैं। हिना शहाब 2009,2014 और 2019 में तीन बार चुनाव हार चुकी हैं।

अब ओसामा के सामने चुनौती है कि कैसे पिता की राजनीतिक विरासत को ताकत दें? सीवान की राजनीति में JDU ने RJD की MY राजनीति को गहरा धक्का लगाया है। अब रईस खान और अयूब खान यह दिखाने में लगे हैं कि उनकी ताकत बढ़ रही है। ओसामा को दे स्तर पर अपनी राजनीति दिखानी होगी। पहला यह कि शहाबुद्दीन का एक समाजसेवी वाला चेहरा था और दूसरा राजनीतिक नेता वाला। इस दोनों के बीच उस ताकत को भी संभालने की चुनौती है जिसकी वजह से कई अपराधी भी शहाबुद्दीन से थर्राते थे। ओसामा अपनी अलग छवि भी गढ़ पाते हैं कि नहीं, यह भी देखना है।

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