AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी दो दिनों के बिहार दौरे पर हैं। सीमांचल के चारों जिलों में उनका कार्यक्रम है। सीमांचल दौरे की अपनी पहली ही सभा में ओवैसी ने अपनी मंशा साफ कर दी। उन्होंने सीधे तौर CM नीतीश कुमार पर हमला बोला।
पूर्णिया की रैली में शनिवार को ओवैसी ने कहा कि भारत में बीजेपी को मजबूत करने वालों में नीतीश कुमार का नाम लिखा जाएगा। जब गुजरात जल रहा था, तब वह रेलवे मंत्री थे।
आप मुझे मुसलमानों की पार्टी कहते हो। कभी अपने गिरेबां में भी झांक कर देख लो। आप कुर्मी और कुशवाहा से आगे नहीं बढ़ सकते। मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन आपने हमेशा धोखा दिया।
अपनी पार्टी के विधायकों के पाला बदलने पर ओवैसी ने राजद को आड़े हाथ लिया। कहा कि जिन्हें जनता ने जिताया था, राजद ने उन नेताओं को दौलत के बल पर खरीद लिया।
ओवैसी ने अपनी सभा में यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह जाति-धर्म से ज्यादा सीमांचल के विकास की लड़ाई लड़ेंगे। उनका पूरा फोकस सीमांचल में एयरपोर्ट, सड़कें और लोगों को मुआवजा देने पर रहेगा।
रमजान के बाद फिर आयेंगे सीमांचल
कालीघाट में सभा को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि राज्य सरकार सीमांचल की समस्या और परेशानियों को दूर नहीं करती है, तो वे सीमांचल का चक्का जाम करेंगे। उन्होंने कहा कि रमजान के बाद फिर से सीमांचल आयेंगे। उन्होंने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर हमला बोला। कहा कि वह सिर्फ यहां के लोगों को बरगला कर उनका वोट लेते हैं। यहां का विकास नहीं करते हैं।
बता दें कि महागठबंधन की रैली के ठीक 21 दिन बाद AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन औवैसी सीमांचल के चार जिले किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया में तूफानी दौरा कर रहे हैं।
ओवैसी, बीजेपी और महागठबंधन से अलग बड़ी रैलियों की जगह छोटी-छोटी सभाएं, पदयात्रा और लोगों से जाकर मिलेंगे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं कि ओवैसी सीधा ध्रुवीकरण का मुद्दा उठाने की जगह सीमांचल के पिछड़ेपन का मुद्दा उठाते हैं। विकास के मुद्दे पर बात करते हैं।
AIMIM चीफ के दो दिनों का कार्यक्रम
पहला दिन
ओवैसी शुक्रवार शाम को ही किशनगंज पहुंचे गए थे। तय कार्यक्रम के मुताबिक ओवैसी 30 घंटे सीमांचल के अलग-अलग इलाकों में बिताएंगे। पहले दिन पूर्णिया के बायसी में कार्यकर्ता सभा को संबोधित किया। जनसभा को संबोधित करने के बाद वे डगौर और अमौर के पश्चिमी हिस्से के कटाव और बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों से मिलेंगे।
यहां के बाद रसैली जाएंगे, जहां 10 सालों से अर्द्धनिर्मित पुल का निरीक्षण करेंगे। बाढ़ विस्थापितों से भी मिलेंगे। इसके बाद ये हरिपुर से खाड़ीपुल तक लगभग 5 किलोमीटर तक पद यात्रा करेंगे। यहीं खाड़ी पुल के पास मैदान में वे जनसभा को संबोधित करेंगे। जनसभा के बाद वे कोचाधामन में कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
दूसरे दिन का कार्यक्रम
19 मार्च को ओवैसी 11 बजे लोहागढ़ा में कार्यकर्ता सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यहां के बाद मानुदाह में 2-3 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। पदयात्रा के बाद वे एक जनसभा को संबोधित करेंगे। सभा के बाद वे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। दिन में 3 बजे वे बिहार से रवाना हो जाएंगे।
ओवैसी की चुनौती बिहार में विस्तार से ज्यादा जमीन बचाने की
बिहार में विस्तार से ज्यादा असदुद्दीन के सामने सबसे बड़ी चुनौती बिहार में अपनी हासिल जमीन को बचाने की है। AIMIM सीमांचल में अपनी पैठ बना चुका है। 2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM सीमांचल इलाके में अपने 20 कैंडिडेट उतारे थे। इनमें 5 सीटों अमौर, बायसी, जोकिहाट, कोचाधामन और बहादुरगंज जीतने में कामयाब रही।
दूसरी तरफ तेजस्वी यादव भी इस इलाके में अपने वर्चस्व को बरकरार रखना चाहते हैं। यही कारण है कि ओवैसी को बिहार में कमजोर करने के लिए तेजस्वी ने AIMIM के घर में ही सेंधमारी कर दी। इनके 4 विधायकों का पाला बदलवाकर आरजेडी में शामिल करवा लिया ।
ओवैसी जितने मजबूत होंगे बीजेपी उतनी ही ताकवतर होगी
बिहार में ओवैसी के मजबूत होने का सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। ये बात महागठबंधन के नेता भी समझते हैं। 2020 विधानसभा चुनाव और इसके बाद हुए सभी उपचुनाव के नतीजे इसके प्रमाण हैं। जहां-जहां AIMIM ने अपने उम्मीदवार उतारे, वहां महागठबंधन के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा और बीजेपी को लाभ मिला। सीमांचल के बाद महागठबंधन ने गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में भी महागठबंधन का खेल बिगाड़ा।
2020 में AIMIM ने अपने 20 उम्मीदवार उतारे थे। वो भले 5 सीट जीतने में कामयाब रही, लेकिन बीजेपी यहां से 8 सीट जीतने में कामयाब रही थी। 2020 के चुनाव में ओवैसी की पार्टी को 5 लाख 23 हजार 279 वोट मिले थे। वहीं गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी के कैंडिडेट मात्र 1, 794 वोट से जीतने में कामयाब रहे थे, जबकि लगभग 8 हजार वोट AIMIM के उम्मीदवार को मिले थे।
महागठबंधन के लिए सबसे बड़ी चुनौती वोटों के बिखराव को रोकना
अमित शाह पहले ही सीमांचल में हिंदू कार्ड चल चुके हैं। सितंबर में पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में हुई बीजेपी की रैली में अमित शाह ने साफ तौर पर कहा था 4 जिले के लोगों को किसी से डरने की जरूरत नहीं है। वहीं महागठबंधन का पूरा फोकस मुस्लिम वर्ग पर था। ऐसे में अगर इस इलाके हिंदू वर्सेज मुस्लिम होता है तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को होगा।
उनके सामने चुनौती होगी वोटों के बिखराव को रोकने की। इसे ऐसे समझें कि आरजेडी की ताकत MY यानी मुस्लिम और यादव हैं तो जेडीयू के खेमे में मुस्लिम के साथ अति पिछड़ा हैं। ऐसे में अगर ओवैसी बिहार में ताकतवर होते हैं तो मुस्लिम वोटर्स का एक बड़ा वर्ग उनकी तरफ शिफ्ट होगा। ऐसे में महागठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है।
राज्य में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी सीमांचल में, सभी की कोशिश उन्हें साधने की कोशिश
सीमांचल राज्य का एक ऐसा इलाका है, जहां राज्य की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी रहती है। राज्य भर में मुस्लिमों की आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक 16% है। सीमांचल के 4 लोकसभा क्षेत्रों में 30 से लेकर 70 प्रतिशत आबादी इसी समुदाय की है। सबसे ज्यादा लगभग 70% वोटर्स केवल एक लोकसभा क्षेत्र किशनगंज में है। वहीं दूसरे स्थान पर कटिहार है, जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 40 फीसदी, अररिया में 35 फीसदी, पूर्णिया में 33 फीसदी है।
सीमांचल में अभी 24 में से 15 विधायक महागठबंधन के, 3 सांसद भी
सीमांचल में मुख्य रूप से 4 जिलें हैं। अररिया, पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार। यहां लोकसभा की 4 और विधानसभा की 24 सीटें हैं। इस पर फिलहाल महागठबंधन की पार्टियों का दबदबा है। 4 में से 2 सांसद जेडीयू के और 1 कांग्रेस के हैं। मात्र 1 सांसद बीजेपी के हैं। वहीं बात करें विधायकों की तो यहां महागठबंधन के फिलहाल 15 विधायक हैं। जिनमें आरजेडी 6, जेडीयू के 4,कांग्रेस के 4 और लेफ्ट के 1 विधायक हैं। बीजेपी के यहां कुल 8 विधायक हैं, जबकि एक विधायक एआईएमआईएम के हैं।
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