भोजपुर जिले में चक्रवाती तूफान ने किसानों की कमर तोड़ दी है। जिले में चार दिनों तक रहे चक्रवाती तूफान के कहर से 6500 हेक्टेयर में खड़ी विभिन्न प्रकार की सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचा है। इससे लगभग 8 करोड़ रुपए की हरी सब्जियों की फसल का नुकसान होने की आशंका जताई गई है। आपदा से जिले के विभिन्न प्रखंडों में लगभग 50,000 किसान प्रभावित हुए हैं। हुए नुकसान का असर अचानक जिले के बाजारों में भी ऊंचे दामों पर मिल रही सब्जियों के रूप में दिखने लगा है। मालूम हो जिले में 27 मई से लेकर चक्रवाती तूफान का असर 30 मई तक देखने को मिला है।
इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शाहपुर, कोईलवर, बड़हरा, जगदीशपुर, बिहिया, उदवंतनगर, पीरो और तरारी क्षेत्र में देखने को मिला है। इस दौरान मध्यम गति की चली हवाओं के साथ भारी वर्षा से किसानों को बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। सबसे ज्यादा प्याज, भिंडी, बैगन, लौकी, करेला, मूंग, परवल ,साग और नेनुआ की फसल को नुकसान पहुंचा है।
4 दिनों तक जिले में हुई रिकॉर्ड 130 मिलीमीटर वर्षा के कारण लतर वाली सब्जी की फसल को सबसे ज्यादा हानि हुई है। जिले में चक्रवात के कहर के कारण किसानों को हुई फसल क्षति का मूल्यांकन करने के लिए कृषि विभाग ने अपने किसान सलाहकार और कृषि समन्वयक को निर्देश दिया है। मौसम सही होने के बाद 1 सप्ताह के अंदर सभी से रिपोर्ट मांगी गई है।
ताकि सरकार के द्वारा जैसे ही फसल क्षति की रिपोर्ट मांगी जाए तैयार रिपोर्ट को सौंपी जा सके। आरा कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक सह हेड डॉ पीके द्विवेदी ने बताया कि लतर वाली फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस बार 6500 हेक्टेयर से ज्यादा रकबा में सब्जी की खेती हुई है। प्रथम नजर में लगभग आठ करोड़ रुपए की फसल के नुकसान की आशंका है, वैसे जांच रिपोर्ट आने के बाद सही आकलन हो पाएगा।
जिले के 6500 हेक्टेयर में खड़ी फसलों पर चक्रवात का असर, 40 से 50% हुई नष्ट
भोजपुर जिले के विभिन्न प्रखंडों में इस बार किसानों ने लगभग 6500 हेक्टेयर में विभिन्न प्रकार के सब्जियों की खेती की थी। इनमें से 2000 हेक्टेयर से ज्यादा में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई एवं अन्य में प्रभावित है। इस प्रकार किसानों के द्वारा खेती की गई फसलों में से 40 से 50 फीसदी फसलें नष्ट हो गई है। किसानों के द्वारा भींडी 1935 हेक्टेयर, प्याज 1515 हेक्टेयर, बैगन 935 हेक्टेयर, लौकी 725 हेक्टेयर, मूंग 400 हेक्टेयर, परवल 255 हेक्टेयर, नेनुआ 200 हेक्टेयर, करेला 170 हेक्टेयर और साग की लगभग 40 हेक्टेयर में खेती की गई है।
इसके अलावे बोदी, मेंथा और आम समेत अन्य फसलों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है। इस प्रकार किसानों के द्वारा की गई खेती में लगभग 8 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। कई किसानों ने बताया कि नुकसान इससे भी ज्यादा हुआ है। इसका सही ढंग से आकलन कराया जाना चाहिए। सही अाकलन के आधार पर किसानों की मदद के लिए सरकार को आगे आना चाहिए।
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