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डायट शाहपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की भूमिका, जागरूकता, अभिविन्यास, चुनौती एवं प्रतिक्रिया विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण जबकि मुख्य वक्ता के रूप में उत्तर बिहार प्रांतीय अध्यक्ष अजीत कुमार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर अपने विचार रखे। अध्यक्षता डायट की प्राचार्य पूनम चौधरी ने की जबकि मंच संचालन लव कुमार ने किया। सेमिनार को संबोधित करते हुए अजीत कुमार ने कहा कि वर्ष 2020 में कोरोना के कारण देश को परेशान होना पड़ा, लेकिन कोरोना के दौर में कई अच्छी चीजें भी सामने आई। इसी कड़ी में एक है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति दो सौ वर्षों से चले आ रहे शिक्षा की गुलामी से मुक्ति की नीति और मैकाले मुक्त शिक्षा पद्धति की नींव है। नीति आयोग एवं डाइट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सेमिनार में उन्होनें ने कहा कि भारतीय मूल्यों पर आधारित यह शिक्षा नीति शिक्षा के मूल्यों को बदलकर भारत को परम वैभव तक पहुंचाने वाली है। उन्होंने कहा कि 1835 में ब्रिटिशों ने भारतीय शिक्षा अधिनियम के द्वारा भारत की सर्वव्यापी शिक्षा नीति को समाप्त कर ब्रिटिश शिक्षा तंत्र को भारत में लागु किया गया था। आजादी के 73 वर्षों बाद ऐसी दृष्टि वाली शिक्षा नीति सामने आई है जो मैकाले के षड्यंत्र को पूरी तरह से विफल कर सकती है।
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