रामगढ़ व दुर्गावती प्रखंड के दर्जनों गांव के किसानों के लिए वरदान साबित होने वाली विश्वकर्मा पम्प नहर से किसानों को पानी नही मिल पा रहा है।वजह है कर्मनाशा नदी में पानी का नही होना।करीब 104 करोड़ की लागत से विश्वकर्मा पम्प नहर सिंचाई परियोजना का निर्माण कराया गया था। इस पम्प नहर में 150 क्यूसेक के तीन पम्प व 60 क्यूसेक के दो पम्प लगाए गए लेकिन पानी की कमी से फिलहाल सिर्फ 150 क्यूसेक का एक ही पम्प चल पा रहा है बाकी के चार पम्प बन्द पड़े है। जबकि नदी में पानी की उपलब्धता रहती तो इस नहर क्षेत्र के किसान धान की रोपनी समय से कर लेते।फिलहाल नहर में पानी आने की कोई उम्मीद नही लग रही है। क्योंकि अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जब तक कैमूर पहाड़ी पर अच्छी बारिश नही होगी, तब तक कर्मनाशा नदी में पानी नही आएगा। जब नदी में पानी का लेवल बढ़ जाएगा, तब सभी पम्प चलाकर किसानों के खेतों तक पानी को पहुंचाया जा सकता है।
बारिश होने पर 3 पंप चलाए जाते हैं
नहर विभाग के सूत्र बताते हैं कि जब तक नदी में मिनिमम डेढ़ मीटर पानी का जलप्रवाह नही होता रहेगा तब तक पम्प के निडिल चैनल तक पानी नही पहुंच पायेगा।उस स्थिति में नहर के पम्प को चलाना मुश्किल नहर की क्षमता 350 क्यूसेक पानी को डिस्चार्ज करने की है।अब तक नदी में पानी का अभाव है लिहाजा 150 क्यूसेक का एक पम्प ही चल पा रहा है। अच्छी बरसात होती है तो 3 पम्प चलाये जाते हैं। नदी में पानी के अभाव में पम्प कैनाल के पास नदी में बराज बना कर नदी के जलस्तर को बढ़ाया जाता है ताकि पम्प के निडिल चैनल तक 4-5 फुट तक जलस्तर बना रहे।लेकिन बोरी में बालू भरकर नदी के पानी को पम्प के निडिल तक डायवर्ट किया गया,जिसका कोई फायदा नही हो पा रहा है।
कर्मनाशा नदी के घटते जल स्तर से पम्प नहर कैनाल से समय से पानी मिलना मुश्किल
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जब विश्वकर्मा पम्प नहर का निर्माण हुआ तो लगा कि रामगढ़ व दुर्गावती प्रखंड के इलाके के किसानों के लिए यह पम्प कैनाल वरदान साबित होगा, लेकिन कर्मनाशा नदी के घटते जल स्तर से इस पम्प नहर कैनाल से किसानों को समय से पानी मिलना मुश्किल हो गया है।किसानों का कहना है कि किसी तरह से धान के बिचड़े तो डीजल पम्प सेट या बिजली मोटर के सहारे तैयार कर लिए जाते हैं,लेकिन धान की रोपनी के लिए तो नहर के पानी की जरूरत पड़ती है।
बिना नहर के पानी मिले हुए धान की खेती करना मुश्किल है।अगर विश्व कर्मा पम्प नहर से समय से किसानों को पानी नही मिला तो धान की खेती प्रभावित होगी। किसानों ने बताया कि जिनके पास निजी नलकूप है जो किसान निजी संसाधनों से लैस है वे समय से रोपनी कर ले रहे हैं,लेकिन नहर के किनारे वाले खेत रोपनी बिना बिरान पड़े है जहां अब तक धान के पौधे दिखने चाहिए, वहां घासपात दिख रहा है।नहर सुखी नजर आ रही है।
नहर में कुल 1200 एच पी के 3 व 500 एचपी के 2 पम्प लगाए गए हैं
विश्वकर्मा पम्प नहर के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार विश्वकर्मा पम्प नहर में कुल 1200 एच पी के 3 व 500 एचपी के 2 पम्प लगाए गए हैं।350 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज करने की क्षमता है। मुख्य नहर की लंबाई 18.20 किलोमीटर है।8 वितरणी व 50 से ज्यादे राजबाहे बनाये गए है इस पम्प नहर से दस हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य है।बर्तमान में कई वितरणी का काम तकनीकी दिक्कत से अधूरा है नदी सुखी है पानी नही है इस वजह से किसानों को पानी नही मिल पा रहा है।
पम्प कैनाल के नदी के जल स्तर को बढ़ाने के लिए बालू की बोरी से बराज बनाया गया है ताकि पम्प के पास नदी का जलस्तर कुछ बढ़ाया जा सके।ताकि किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है।लेकिन इस वर्ष अभी तक नदी में पानी नही है। इस लिए कुछ नही कहा जा सकता कि नहर में पानी कब मिलेगा।प्रयास जारी है जैसे ही नदी में पानी आ जाएगा नहर से पानी मिलना शुरु हो जाएगा।
पम्प के पास बराज बनाकर जलस्तर को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है
^कैमूर पहाड़ी पर अच्छी बारिश नही हुई है।कर्मनाशा नदी में पानी की किल्लत है। पम्प के पास बराज बनाकर जलस्तर को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है।किसी तरह से 150 क्यूसेक का एक पम्प चल पा रहा है जब तक नदी में पर्याप्त पानी नही आयेगा तब तक सभी पम्प को चलाना मुश्किल होगा।उन्होंने बताया कि छोटी से नदी में क्षमता से अधिक पम्प कैनाल बना दिये गए हैं। विश्वकर्मा पम्प नहर से पहले लरमा कैनाल बना है, नदी में पानी की कमी है। हाल में नदी सुखी पड़ी है।बारिश का इंतजार किया जा रहा है। नदी में पानी आया तो पम्प के निडिल चैनल तक पानी पहुंचाकर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।फिलहाल किसी तरह से सिर्फ एक पम्प को चलाने के लिए ही नदी में पानी उपलब्ध है।
‘चंचल कुमार”, ‘एक्सक्यूटिव इंजीनियर”
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