परिवार नियोजन के मामले में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं ज्यादा जागरूक हैं। बढ़ती जनसंख्या को रोकने में पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा सजगता दिखाती रही हैं। अभी स्वास्थ्य विभाग द्वारा 11 से 31 जुलाई तक जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जा रहा है और इसमें भी महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अच्छी भागीदारी निभा रही हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने इस पखवाड़े में कुल 55 नसबंदी का टारगेट रखा है जिसमें 50 महिलाएं और 5 पुरुषों की नसबंदी का लक्ष्य है। स्वास्थ्य विभाग ने परिवार स्वास्थ्य का भार महिलाओं पर मानते हुए उन्हें ज्यादा जागरूक करने के लिए महिला स्वास्थ्य कर्मियों को लक्ष्य देने के अलावा प्रशिक्षित करना भी शुरू कर दिया है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए नसबंदी तथा बंध्याकरण कराने पर प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।
स्थाई एवं अस्थाई साधनों के जरिए हो रहे हैं उपाय: स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डॉ अनुज कुमार चौधरी ने बताया कि बढ़ती जनसंख्या उपलब्ध संसाधनों को लगातार कम कर रही है। जनसंख्या नियंत्रण बढ़ते शिक्षा स्तर के जरिए हो सकता है। इसके लिए महिला स्वास्थ्य कर्मी लगातार ग्रामीण इलाकों में जागरूक कर रही हैं। बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से प्रचार प्रसार के साथ ही नसबंदी और नलबंदी कराया जा रहा है। वहीं अस्थाई जनसंख्या नियंत्रण के लिए गर्भनिरोधक दवाइयां, सुई, कंडोम,माला डी, आई पिल आदि इस्तेमाल की जानकारी दी जा रही है। बताया कि पुरुष नसबंदी कराने वालों और महिला बंध्याकरण कराने वाली महिलाओं को साथ ही उत्प्रेरक के काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों को प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराई जा रही है। बताया कि प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना थीम में शामिल है। सेविका और सहायिका का भी सहयोग लिया जा रहा है।
7 महीने तक बंध्याकरण का लक्ष्य रहा शुन्य: कोविड-19 संक्रमण के कारण और लॉक डाउन की वजह से अप्रैल 2020 से अक्टूबर 2020 तक नसबंदी या बंध्याकरण का कार्य नहीं हुआ। नवंबर 2020 में नसबंदी और बंध्याकरण को महिलाएं और पुरुष सामने आए। नवंबर 2020 में 24 महिलाओं का बंध्याकरण हुआ वहीं दिसंबर में लक्ष्य बढ़ते हुए 71 पर पहुंचा और इस दौरान 6 पुरुषों की भी नसबंदी की गयी। जनवरी 2021 में 112 महिलाओं और 6 पुरुषों, फरवरी में 104 महिलाओं एवं 2 पुरुष तथा मार्च में 79 महिलाओं का बंध्याकरण किया गया। अब पखवाड़े के तहत कार्यक्रम चल रहा है जो 31 जुलाई तक जारी रहेगा।
पुरुष को नहीं रहना पड़ता है अस्पताल में : चिकित्सक ने बताया कि महिलाओं के बंध्याकरण के मुकाबले पुरुष की नसबंदी सरल है। महिलाओं को बंध्याकरण के पहले बेहोश करना पड़ता है। ऑपरेशन होने के बाद उन्हें दो-तीन दिन अस्पताल में रहना पड़ता है और करीब 1 सप्ताह के बाद उनका टांका काटा जाता है। महिलाओं को परहेज रखने पड़ते हैं। वहीं पुरुषों की नसबंदी का ऑपरेशन काफी सरल है और वह कार्यों को बिना किसी परेशानी कर सकते हैं।
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