बक्सर के भटवालिया की शिवानी अपनी गायकी से चर्चा में है। स्कूल में गाया उसका गाना सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। अब वह कई कार्यक्रमों में पहुंच अपनी गायकी से दर्शकों को झूमा रही है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के मौके पर दैनिक भास्कर ने शिवानी से भेंट कर उससे खास बातचीत की।
शिवानी ने बताया, 'दादा और माता-पिता के सहयोग से स्कूल के कार्यक्रमों में गाते-गाते आज रिकार्डिंग स्टूडियो तक पहुंची हूं। मेरा सपना है कि गायकी में शोहरत कमाने के साथ भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री में भी जलवा बिखेरूं।'
शिवानी ने 7 साल की उम्र से शुरु किया था गाना
शिवानी अब 13 साल की हो गई है। बताया कि उसने 7 साल की उम्र से गाना शुरू कर दिया था, लेकिन जब 8 साल की हुई तो पिताजी को लगा कि बेटी अच्छा गा रही है। उसे संगीत के गुरु की जरूरत है। तब से बक्सर जिले के जय प्रकाश तिवारी के सानिध्य में संगीत सीख रही हूं। उसके बाद कई स्टेज प्रोग्राम के साथ कई गाने भी रिलीज हुए हैं। लगन के दिन कहीं न कहीं स्टेज प्रोग्राम हमेशा रहता है।
शिवानी ने बताया, 'अच्छा गाती थी तो स्कूल के हर कार्यक्रम में टीचर हमसे गाना गवाते थे। उसी बीच 'कर्जा ना कबो, माई बाबू के भराई हो' गाना गाया। एक टीचर ने उसे फेसबुक पर डाल दिया। इसे हमारे गुरुजी द्वारा ही लिखा गया था। इस गाने की रिकार्डिंग पूरी हो गई है। बहुत जल्द यह गाना यूट्यूब और विभिन्न चैनलों पर देखने को मिलेगा।'
संगीत कार्यक्रम में शिवानी को मिले उसके गुरु
शिवानी के संगीत गुरु जेपी तिवारी ने बताया, 'मैं एक भोजपुरी सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर भी हूं। अच्छा लग रहा है कि हमारी शिष्या के प्रशंसकों की संख्या दिन पर दिन बढ़ रही है। एक संगीत कार्यक्रम में शिवानी के पिता उसको लेकर पहुंचे थे। मैं भी उसमें था, तो देखा बच्ची रिदम पर बहुत बेहतरीन गा रही है। जब बच्ची को अपने स्टूडियो में बुलाया तो उसके पिता ने शिवानी को हमें सपुर्द कर दिया कि आप ही इसके मां-बाप हैं। इसको सिखाइए। तब से आज तक उसकी शिक्षा चल रही है।'
कभी गवाने के लिए करते थे मिन्नतें, आज बुलाते हैं लोग
पिता गोपाल सिंह ने बताया, 'हमें अपनी बेटी शिवानी पर बहुत गर्व है। इसे आगे बढ़ाने में जितनी मेहनत करनी होगी, उतना करेंगे। घर के पास जब भजन-कीर्तन होता था तो वह वहां बैठी रहती थी। एक बार उसे गाने को कहा गया तो इतना सुंदर गाया कि हमें लगा इसे संगीत सिखाना चाहिए। फिर गांव में कहीं गाना बजाना होता था तो शिवानी को लेकर पहुंच जाता था। इसे भी एक-दो गाना गाने का मौका देने की मिन्नत करता था, लेकिन आज लोग खुद इसका कार्यक्रम फिक्स कर रहे हैं। इसे देख बहुत अच्छा लग रहा है।'
(रिपोर्ट: सत्य प्रकाश पांडेय)
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