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फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि विभाग 17 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान की व्यवस्था की है। अनुदान योजना के तहत दस हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक की अनुदान की व्यवस्था विभाग ने की है। जिला कृषि पदाधिकारी सुनिल कुमार ने बताया कि इन यंत्रों से किसान फसल अवशेष का प्रबंधन सही ढंग से करके खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं । साथ ही पर्यावरण प्रदूषण को भी बचा सकते हैं।उन्होंने फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आवश्यक है कृषि यंत्रों के लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन करने की सलाह दी है ताकि उस पर कृषि विभाग द्वारा दे अनुदान की राशि को किसानों के खाते में भेजा जा सके अगर कोई किसान अनुदान काटकर कृषि यंत्र लेना चाहता है तो ले सकता है। अनुदान की राशि कृषि यंत्र विक्रेता के खाते में भेजी जाएगी।
अपने खेतों में पुआल जलाने वाले किसानों को नहीं मिल सकेगा कोई भी सरकारी लाभ
इधर, पराली जलाने वाले किसानों की सेटेलाइट से मॉनिटरिंग हो रही है। अगर खेतों में पराली जलाते हुए कोई किसान की तस्वीर आती है तो संबंधित किसान के साथ साथ कृषि समन्वयक पर कार्रवाई तय है। जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि किसी भी सूरत में खेतों में फसलों का अवशेष जलाने वाले किसानों को बख्शा नहीं जाएगा क्योंकि इससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति घट रही है। उन्होंने सभी कृषि अधिकारियों व कर्मचारियों से पराली को लेकर जागरूकता अभियान चलाने का सख्त निर्देश दिया है।
ताकि कहीं भी किसान पराली न जला सके। उन्होंने कहा की पराली जलाने वाले किसानों को कृषि योजनाओं से वंचित कर दिया जाएगा साथी संबंधित कृषि समन्वयक पर कार्रवाई होगी। आज पूरा विश्व पर्यावरण प्रदूषण की मार झेल रहा है ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है की ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को देखते हुए खेतों में पराली नहीं जलाएं।पराली जलाने से काफी हानी होती है।
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