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काराकाट गांव स्थित ददन सिंह के आवास पर किसानों की एक बैठक आहूत की गई। जिसकी अध्यक्षता श्रीनिवास सिंह ने किया। बैठक में मुख्य रूप से कृषि बिल को लेकर किसानों के नाम पर किए जा रहे आंदोलन पर नाराजगी जताया गया। बैठक में उपस्थित किसानों ने कहा कि किसानों के कथित नेताओँ द्वारा किसानों के कंधे पर नाजायज बंदूक रखने से बाज आएं। किसानों द्वारा किए गए त्याग के चलते ही जय जवान के साथ जय किसान को जोड़ कर पूर्व के लोक मान्य द्वारा इन्हें सम्मानित किया गया । किसान अपनी मांग रखते भी है तो सलीके से । न कि उग्र आंदोलन से। किसान उग्र आंदोलन के पक्षधर कब से हो गए। अन्नदाता तो अपने पसीने की कमाई से सबका पोषण करना जानते हैं। कई लोगों ने कहा कि इन्हें उग्र आंदोलन करना ही है, तो अपने इस आंदोलन से किसान शब्द हटा लेना चाहिए। अन्यथा हम भी सड़कों पर उतरने को बाध्य हो जाएंगे।
हम किसानों को सरकारी सहायता की जरूरत है
दिल्ली व गाजिया बाद के सिंधु बॉर्डर पर कथित किसान नेताओं द्वारा जब किसान के नाम पर लोगों को उद्वेलित किया जा रहा था, तब हम मेहनत के बल उगाए फसलों को घर तक लाने व खेतों में लगे पौधों को पानी देने में लगे थे। हम किसानों को सरकारी सहायता की जरूरत है, लेकिन खूनी संघर्ष के नाम पर नहीं। अंत में अगले सप्ताह प्रखण्ड स्तरीय किसानों की सामूहिक बैठक कराने का निर्णय लिया गया। अध्यक्ष ने बताया कि बैठक के लिए लोगों की सहूलियत के अनुसार स्थल चयन किया जाएगा। बैठक में मुखिया बिनोद सिंह, मोहनपुर के गिरिराज सिंह, रामनाथ सिंह, साधुशरण सिंह, जयराम यादव, सुग्गीबाल के बिक्रमा यादव, महूअरी के जनार्दन उपाध्याय, काराकाट के बिनय सिंह, राधारमण तिवारी, भैयाराम पासवान सहित कई किसानों ने भाग लिया।
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