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- 14 Parties Including RJD JDU Appealed To The Supreme Court, Fix Guidelines For Arrest Of CBI ED, CJI Bench Said Hearing Will Be Held On April 5
राजद-जदयू समेत 14 दलों की सुप्रीम कोर्ट में गुहार:CBI-ED की गिरफ्तारी की गाइडलाइन तय करें, सीजेआई की पीठ ने कहा-5 अप्रैल को होगी सुनवाई
देश के 14 राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार पर ईडी व सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इन दलों का कहना है कि केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इसलिए इन एजेंसियों द्वारा गिरफ्तारी व जमानत के मामलों में कोर्ट गाइडलाइन तय करे। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 5 अप्रैल को सुनवाई करेगी।
याचिका में कहा गया है कि इस समय विपक्षी दलों के 95 प्रतिशत नेताओं के खिलाफ ईडी, सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष शुक्रवार को विपक्षी दलों की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दल 2019 के लोकसभा चुनाव में डाले गए वोटों के 42.5 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर जांच एजेंसियां, सीबीआई और ईडी, लक्षित और चुनिंदा तरीके से काम कर रही हैं। विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। इससे दलों में असंतोष है। सिंघवी ने कहा कि हम किसी भी जांच को प्रभावित करने की मांग नहीं कर रहे हैं। हम इन एजेंसियों द्वारा दर्ज मामलों में गिरफ्तारी से पहले और बाद के अधिकारों पर गाइडलाइन तय करने की मांग कर रहे हैं।
विपक्षी पार्टियों ने याचिका में दिए ये तर्क
- वर्ष 2005 से 2014 तक जांच एजेंसियां किसी भी मामले में पहले छापे मारती थीं, फिर प्राप्त सबूतों पर कार्रवाई की जाती थी। 93 प्रतिशत मामलों में कार्रवाई की यही व्यवस्था थी। मगर वर्ष 2014 से 2022 तक यह क्रम 93 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत हो गया।
- पीएमएलए कानून के बाद तक अभी तक केवल 23 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है। जबकि ईडी में इस कानून के तहत दर्ज किए जाने वाले मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2013 में ईडी ने 209 मामले दर्ज किए थे। वहीं 2020 में 981 और 2021 में 1180 केस दर्ज किए।
- वर्ष 2004 से 2014 के बीच सीबीआई ने 72 नेताओं के खिलाफ जांच की थी जिसमें 43 नेता उस समय विपक्षी दल के थे जो कि 60% से भी कम है। जबकि अब यह आंकड़ा 95% हो गया है।
- ईडी भी सीबीआई के पैटर्न पर काम कर रही है। 2014 से पूर्व विपक्षी दलों के नेताओं पर कार्यवाही का प्रतिशत 54 प्रतिशत था जो कि अब 2014 से 2022 के बीच 95 प्रतिशत से अधिक हो गया है।
याचिकाकर्ता दलों ने कोर्ट से यह अपील की...
- विपक्षी दलों ने केंद्र पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया, सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत
- गिरफ्तारी व रिमांड के लिए सीबीआई व ईडी अधिकारियों द्वारा ट्रिपल टेस्ट का प्रयोग किया जाए।
- कोर्ट गंभीर शारीरिक हिंसा छोड़ अन्य संज्ञेय अपराधों में गिरफ्तारी पर रोक लगाए।
- अगर जांच एजेंसियों द्वारा जांच के लिए आरोपियों द्वारा तय शर्तों का पालन नहीं होता है तो उन्हें मांग को पूरा करने को कुछ घंटों की पूछताछ या फिर हाउस अरेस्ट की अनुमति ही दी जानी चाहिए।
- जमानत एक अपवाद वाले सिद्धांत का पालन अदालतों द्वारा ईडी व सीबीआई के केसों में भी किया जाना चाहिए।
- जहां पर ट्रिपल टेस्ट का पालन किया गया है, वहां पर जमानत से इंकार किया जाना चाहिए।
याचिका दायर करने वाले दल
कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, आरजेडी, बीआरएस, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी), जेएमएम, जेडीयू, सीपीआई (एम), सीपीआई, समाजवादी पार्टी और जेएंडके नेकां।