विधान परिषद में एक तिहाई सीट एक साथ रिक्त हो जाएंगी। 17 जुलाई को विधान परिषद के 19 सदस्य रिटायर होंगे। स्थानीय निकाय के इन विधान पार्षदों को सदन में आने का फिर से अवसर नहीं मिल पाया। पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण इन सीटों पर चुनाव नहीं हो सके हैं। अप्रैल-मई में ही ये चुनाव होने थे। लेकिन, कोरोना के कारण स्थानीय निकाय के चुनाव टल गए, लिहाजा इनके आधार पर होने वाले विधान परिषद सदस्यों का चुनाव भी स्वत: टल गया। इन सदस्यों के रिटायर होने के बाद 75 सदस्यीय विधान परिषद में 25 स्थान रिक्त हो जाएंगे।
इनमें 24 स्थान स्थानीय निकाय के हैं, जबकि एक विधानसभा कोटे का है।विधान परिषद की इन सीटों पर पार्षद स्थानीय निकायों के जन प्रतिनिधियों द्वारा वोटिंग के माध्यम से चुने जाते हैं। त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधि इसमें वोटर होते हैं, जिनकी संख्या सर्वाधिक है। लेकिन, बिहार में समय पर पंचायत का चुनाव नहीं हो पाया और वर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को समाप्त हो चुका है। दूसरी ओर इन विधान पार्षदों का कार्यकाल 17 जुलाई तक ही है।
पंचायत चुनाव नहीं हाेने से अभी रिक्त रहेंगी एक तिहाई सीटें
स्थानीय निकाय से चुन कर आने वाले इन 24 विधान पार्षद के चुनाव में जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत के मुखिया और सदस्यों के अलावा नगर निगम, नगर परिषद और कंटोनमेंट बोर्ड के सदस्य भी वोटर होते हैं। लेकिन, पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या सबसे अधिक करीब 95 प्रतिशत है। ऐसे में बिना पंचायत प्रतिनिधियों के वोट के चुनाव संभव नहीं था। लिहाजा, जबतक पंचायत का चुनाव नहीं होगा, विधान परिषद की इन 24 सीटों पर भी चुनाव नहीं हो पाएगा। स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले तीन विधान पार्षद विधायक बन चुके हैं। दो का निधन हो चुका है। ऐसे में पहले से 5 स्थान रिक्त है।
स्थानीय निकाय के सदस्य हो रहे रिटायर, पर कार्यकाल का मामला नहीं सुलझा
स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले विधान पार्षदों के कार्यकाल का मामला भी नहीं निपट सका और वे रिटायर भी हो गए। इस कोटे से 24 सदस्य चुनकर आते हैं। नियमानुसार इनमें से 8-8 सदस्यों को दो-दो वर्षों पर रिटायर होना था और दो-दो वर्षों पर ही 8-8 सदस्यों का चुनाव होना था। लेकिन लंबे समय से स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं होने के कारण पिछली बार जब 24 सदस्यों का निर्वाचन हुआ तो सबको 6-6 वर्षों के लिए चुन लिया गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। तत्कालीन विधान पार्षद वैद्यनाथ प्रसाद ने रिट दायर किया और सदस्यों के कार्यकाल का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने उनकी बातों को सुना और चुनाव आयोग को कहा कि वह कोर्ट को संतुष्ट करे कि संविधान के प्रावधान के अनुरूप चुनाव हो रहे हैं या नहीं? कोर्ट ने चुनाव का ब्लूप्रिंट भी मांगा। पर, कोई कार्ययोजना थी ही नहीं। लिहाजा, मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।
ये सदस्य होंगे रिटायर
राधाचरण साह, मनोरमा देवी, रीना यादव, संतोष कुमार सिंह, सलमान रागीब, राजन कुमार सिंह, सच्चिदानंद राय, टुन्नजी पांडेय, बबलू गुप्ता, दिनेश प्रसाद सिंह, सुबोध कुमार, राजेश राम, दिलीप जायसवाल, संजय प्रसाद, अशोक अग्रवाल, नूतन सिंह, सुमन कुमार, आदित्य नारायण पांडेय अाैर रजनीश कुमार।
स्थानीय निकाय के सदस्य हो रहे रिटायर, पर कार्यकाल का मामला नहीं सुलझा
स्थानीय निकाय से चुनकर आने वाले विधान पार्षदों के कार्यकाल का मामला भी नहीं निपट सका और वे रिटायर भी हो गए। इस कोटे से 24 सदस्य चुनकर आते हैं। नियमानुसार इनमें से 8-8 सदस्यों को दो-दो वर्षों पर रिटायर होना था और दो-दो वर्षों पर ही 8-8 सदस्यों का चुनाव होना था। लेकिन लंबे समय से स्थानीय निकाय के चुनाव नहीं होने के कारण पिछली बार जब 24 सदस्यों का निर्वाचन हुआ तो सबको 6-6 वर्षों के लिए चुन लिया गया। मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। तत्कालीन विधान पार्षद वैद्यनाथ प्रसाद ने रिट दायर किया और सदस्यों के कार्यकाल का मामला उठाया।
उन्होंने बताया कि कोर्ट ने उनकी बातों को सुना और चुनाव आयोग को कहा कि वह कोर्ट को संतुष्ट करे कि संविधान के प्रावधान के अनुरूप चुनाव हो रहे हैं या नहीं? कोर्ट ने चुनाव का ब्लूप्रिंट भी मांगा। पर, कोई कार्ययोजना थी ही नहीं। लिहाजा, मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया।
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