चौबीस मार्च से शुरू लॉकडाउन ने बिहार समेत 4 राज्यों के असंगठित व दिहाड़ी मजदूरों को भारी तादाद में बेरोजगार किया। इन राज्यों में औसत फूड इंटेक (खाद्य उपभोग) भी बड़े पैमाने पर घटा। अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बिहार, झारखण्ड, उड़ीसा तथा मध्यप्रदेश में सिविल सोसाइटी के जरिए किए गए सैम्पल सर्वे के बाद इस तथ्य को खुलेआम किया है।
रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों के प्रवासी व असंगठित मज़दूरों की बेरोजगारी से लेबर मार्केट में बहुत गिरावट आई है। इसके कारण अर्थव्यवस्था इतनी मंद हो रही है कि उसे पटरी पर लाने में काफी वक़्त लगेगा। यह सुधार बहुत तकलीफदेह हो सकता है।
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में 173 लोगों का सैम्पल सर्वे हुआ। पता चला कि करीब 46 फीसदी लोगों का रोजगार खत्म हो गया। सबसे ज्यादा कैजुअल लेबर बेरोजगार हुए। 10 में से 8 ऐसे मजदूर अपने काम से हाथ धो बैठे । बेरोजगार हुए मजदूरों में पुरुषों (35 प्रतिशत) की तुलना में महिलाओं (55 प्रतिशत) की तादाद अधिक रही। ओबीसी मजदूरों (35 प्रतिशत) की तुलना में एससी, एसटी मजदूर ज्यादा प्रभावित हुए। औसतन 10 में 7 मजदूरों ने अपना रोजाना के भोजन को कम कर दिया।
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