पुलिस की नौकरी से बर्खास्त किए गए नरेंद्र कुमार धीरज:DGP के आदेश पर हुई कार्रवाई, EOU की कार्रवाई में 9.47 करोड़ की संपत्ति का हुआ था खुलासा

पटना10 महीने पहले
  • कॉपी लिंक
बर्खास्त किए गए सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज। - Dainik Bhaskar
बर्खास्त किए गए सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज।

बिहार पुलिस की नौकरी से सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज को बर्खास्त कर दिया गया है। नरेंद्र कुमार धीरज की पोस्टिंग लखीसराय जिला पुलिस बल में थी। साथ ही ये बिहार पुलिस मेन्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर भी हैं। नौकरी से बर्खास्त करने की कार्रवाई DGP एसके सिंघल के आदेश पर हुई है। इनके खिलाफ ठोस कार्रवाई किए जाने को लेकर आर्थिक अपराध इकाई की तरफ से अनुशंसा की गई थी। इनके ऊपर सरकारी नौकरी करते हुए जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप है। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर नरेंद्र कुमार धीरज के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे।

लखीसराय के SP को जांचकर्ता बनाया गया था। साथ ही नरेंद्र कुमार धीरज से उन पर लगे आरोपों के आधार पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। सिपाही के तरफ से स्पष्टीकरण का जवाब दिया भी गया। मगर, पुलिस मुख्यालय की मानें तो उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला। लखीसराय SP की तरफ से सौंपे गए रिपोर्ट के आधार पर ही उनके खिलाफ ठोस कार्रवाई कर दी गई। अब इनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक गई है।

पिछले साल 21 सितंबर को 9 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
बालू माफियाओं का साथ देने और भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोप में पिछले साल 21 सितंबर को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम ने नरेंद्र कुमार धीरज के कुल 9 ठिकानों पर छापेमारी की थी। जिसमें इनकी आमदनी सरकार से मिलने वाली सैलरी से 544 प्रतिशत अधिक मिली थी। दावा किया गया था कि नरेंद्र कुमार धीरज 9 करोड़ 47 लाख 66 हजार 745 रुपए की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं। EOU ने FIR नंबर 18/21 दर्ज किया था। इस केस में सिपाही के साथ ही उनके भाई सुरेंद्र कुमार सिंह, शशिभूषण सिंह, श्याम बिहारी सिंह, वीरेंद्र सिंह, वीजेंद्र कुमार विमल, अशोक कुमार और भतीजा धर्मेंद्र कुमार को भी आरोपी बनाया गया था।

DGP के खिलाफ आवाज उठाने का रिजल्ट
पुलिस की नौकरी से बर्खास्त किए गए सिपाही नरेंद्र कुमार धीरज ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। इनके अनुसार उन पर बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। उन्होंने DGP एसके सिंघल के खिलाफ आवाज उठाई थी। DGP के नियुक्ति पर ही सवाल खड़ा कर दिया। नरेंद्र कुमार धीरज का दावा है कि DGP की नियुक्ति को ही उन्होंने अवैध बता सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल किया था। इनके अनुसार इसी वजह से मेरे साथ गलत किया जा रहा है। यह कार्रवाई सिर्फ FIR के आधार पर नहीं है। पूरी तरह से बदले की भावना से इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।

खबरें और भी हैं...