21 सितंबर को ही दिल्ली में गृह मंत्रालय और CRPF के DG की तरफ से कहा गया था कि 53 साल बाद बिहार पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है। मगर, ऐसा है नहीं। शुक्रवार को पटना में पुलिस मुख्यालय की तरफ से दावा किया गया कि अब भी राज्य के 10 जिले नक्सल प्रभावित हैं। इसकी पुष्टि खुद ADG मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने की है। लेकिन, इनके तरफ से प्रभावित जिलों के नाम स्पष्ट नहीं किए गए। पत्रकारों के सवाल पर ADG ने कहा कि अभी भी 10 जिलों को नक्सल प्रभावित माना गया है। जब 3 साल पहले गृह मंत्रालय ने रिव्यू मीटिंग की थी तब बिहार के 16 जिले नक्सल प्रभावित थे। टाइम-टाइम पर इसका रिव्यू होता रहता है।
नक्सली वारदातों में कमी पर मुठभेड़ बढ़ी
ADG ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ ही बिहार में STF का गठन साल 2000 में हुआ था। इसके बाद लगातार इनके द्वारा ऑपरेशन किए जाने लगा। बिहार को CRPF जैसे पैरामिलिट्री फोर्स भी उपलब्ध कराए गए। पिछले कुछ सालों में राज्य के अंदर नक्सल एरिया काफी कम हो गया है। नक्सली वारदातों में कमी आई। नक्सली घटनाओं में जो पुलिस वाले मारे जाते थे, उसमें कमी आई है। आम नागरिकों के मारे जाने की घटनाओं में भी कमी आई है। दूसरी तरफ नक्सली इलाकों में जाकर जो पुलिस मुठभेड़ करती है, उसमें बढ़ोत्तरी हुई है। गया, जमुई जैसे कई ऐसे इलाके थे, जिन्हें नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। अब इन इलाकों में पुलिस की मौजूदगी बनी हुई है। लगातार दबिश बनाए हुए है। इनके गढ़ में अब पुलिस कैंप खुल चुके हैं। लगातार डॉमिनेटिंग पोजिशन में पुलिस बल प्रभावित इलाकों में बनी हुई है। बिहार पहला राज्य बना जब पुलिस ने नक्सलियों की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई को शुरू किया था। कई फरार नक्सलियों के संपत्ति को जब्त किया गया। UAPA एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। ईडी को भी हमने प्रस्ताव भेजा।
इंटेलिजेंस इनपुट पर है फोकस
पुलिस मुख्यालय ने दावा किया कि नक्सलियों की पकड़ बिहार में धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इन इलाकों में सरकार के विकास योजनाओं को बढ़ाया जा रहा है। विकास पर फोकस हो रहा है। ताकि, पिछड़ापन, गरीबी और अशिक्षा दूर हो। इसके साथ ही पुलिसिया कार्रवाई भी चलती रहेगी।
ADG के अनुसार सिर्फ इस साल में अब तक STF ने 44 नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इनसे पुलिस के 6 हथियार बरामद किए, 10 रेगूलर और 70 से ज्यादा देशी हथियार भी बरामद हुए। 4744 गोलियां बरामद की गई। नक्सलियों के खिलाफ दर्ज कई केस अब भी पेंडिंग है, जिसकी जांच चल रही है। क्योंकि, कई नक्सली अब भी फरार हैं। बड़ी बात यह है कि इनके कई अलग-अलग ग्रुप और संगठन बन चुके हैं। इनके हर गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए बिहार पुलिस एक्टिव है। ग्रामीण इलाकों में नक्सली संगठनों से किस तरह के लोग जुड़ रहे हैं, इस पर ध्यान रखने की जरूरत है। इसलिए इंटेलिजेंस इनपुट पर ध्यान दिया जा रहा है।
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