जनसुनवाई में लिया गया निर्णय:अरवल के उपभोक्ताओं ने बिजली कंपनी का दर बढ़ोतरी प्रस्ताव किया खारिज

पटना2 महीने पहले
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बिजली केंद्र की सांकेतिक तस्वीर। - Dainik Bhaskar
बिजली केंद्र की सांकेतिक तस्वीर।

बिजली कंपनी के दर बढ़ोतरी प्रस्ताव को अरवल के 100 से अधिक उपभोक्ताओं ने मंगलवार को खारिज कर दिया है। सुबह 11.30 बजे से समाहरणालय के सभाकक्ष में जनसुनवाई का आयोजन किया गया। बिहार विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा और सदस्य एससी चौरसिया ने उपभोक्ताओं को पक्ष रखने का आदेश दिया।

इस दौरान उपभोक्ताओं ने साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के द्वारा फिक्स चार्ज में 2.5 गुना और बिजली दर में 40% बढ़ोतरी का प्रस्ताव को लिखित और मौखिक रूप से पक्ष रखकर खारिज किया। इससे पहले साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के जीएम राजस्व अरविंद कुमार ने पक्ष रखा। इस मौके पर आयोग के सचिव, उप सचिव के साथ बिजली कंपनी के इंजीनियर उपस्थित थे।

यहां होगी जनसुनवाई
7 फरवरी - समाहरणालय सभाकक्ष कैमूर
10 फरवरी - समाहरणालय सभाकक्ष पूर्णियां
17 फरवरी - जल संसाधन विभाग के सभाकक्ष वाल्मिकी नगर (पश्चिम चंपारण)
20 और 21 फरवरी - आयोग के कोर्ट रूम, पटना

क्या है कंपनी का प्रस्ताव

साउथ बिहार और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए फिक्स चार्ज में 2.5 गुना और दर में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव दिया है। यानी, कोई शहरी घरेलू उपभोक्ता 5 किलोवाट का कनेक्शन लिया है तो वर्तमान समय में 200 रुपए फिक्स चार्ज जमा करनी पड़ रही है। लेकिन प्रस्ताव पारित होने पर 500 रुपए फिक्स चार्ज देना होगा। इसी तरह दर में 40 फीसदी की बढ़ोतरी पर बिजली काफी महंगी हो जाएगी।

प्रस्ताव वेबसाइट पर उपलब्ध

बिहार विद्युत विनियामक आयोग को दी जाने वाली बिजली कंपनी का दर बढ़ोतरी प्रस्ताव साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के वेबसाइट के साथ बिहार विद्युत विनियामक आयोग के वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आम उपभोक्ता nbpdcl.co.in/, www.sbpdcl.co.in/ और berc.co.in/ पर जाकर पढ़ने के साथ डाउनलोड कर सकते हैं।

मार्च में आयोग सुनाएगा फैसला, 1 अप्रैल से लागू
बिहार विद्युत विनियामक आयोग के द्वारा जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं और बिजली कंपनी यानी दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला रिजर्व किया जाएगा। इस पर आयोग पूरी मंथन करने के बाद मार्च में फैसला सुनाएगा। यह फैसला 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 तक लागू होगा।

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