RJD के विधानसभा मार्च, पुलिस पर पथराव और उग्र प्रदर्शन के मामले में कुल 2 FIR दर्ज की है। इनमें से एक FIR कोतवाली में तो दूसरी FIR गांधी मैदान थाना में दर्ज कराई गई है। इनके ऊपर सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाने का भी धारा लगाया गया है। मजिस्ट्रेट के बयान पर इस FIR में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, विधायक तेजप्रताप यादव, RJD के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम रजक, निराला यादव, पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी, विधायक रीतलाल यादव, निर्भय अम्बेडकर, आजाद गांधी, महताब आलम, प्रेम गुप्ता, भाई अरुण, पूर्व विधायक राजेन्द्र यादव, पूर्व मंत्री रमई राम, पूर्व विधायक शक्ति यादव, युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष कारी सुहैब, पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह, अर्चना यादव समेत 3000 से 3500 कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज कराई गई है।
पथराव में पुलिसकर्मी और पत्रकार का फूटा था सिर
मंगलवार को पटना में डाकबंगला चौराहे के पास विधानसभा मार्च के दौरान सड़क पर RJD कार्यकर्ताओं की गुंडई दिखी थी। तेजस्वी-तेजप्रताप के नेतृत्व में यह मार्च निकाला गया था। मार्च के दौरान डाकबंगला चौराहे पर पुलिस और RJD कार्यकर्ताओं के बीच जमकर भिड़ंत हुई। इसमें RJD कार्यकर्ताओं ने एक पुलिस के जवान का सिर फोड़ दिया था। RJD कार्यकर्ताओं और पुलिस की तरफ से शुरू हुई पत्थरबाजी में पत्रकार का भी सिर फूटा। पुलिस ने हालात बेकाबू होता देख लाठीचार्ज शुरू कर दिया। दुकानों और मार्केट में छिपे कार्यकर्ताओं को खोज-खोज कर पीटा। इसके RJD कार्यकर्ताओं ने गाड़ियों में जमकर तोड़-फोड़ शुरू की। RJD के कार्यकर्ता झोला में भर कर पत्थर और ईंट के टुकड़े लेकर आए थे।
RJD कार्यकर्ताओं ने सड़क से लेकर सदन तक किया बवाल
मंगलवार को RJD कार्यकर्ताओं ने पुलिस अधिनियम बिल 2021 को लेकर सड़क से सदन तक जमकर बवाल किया था। बिहार विधानसभा के इतिहास में पहली बार विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को उनके ही चैंबर में बंधक बना लिया। हंगामे के कारण मार्शल द्वारा RJD के विधायकों को उठा-उठा कर सदन के बाहर फेंका गया। विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा को उनके ही चैंबर में बंधक बना लिया। DM और SSP के साथ धक्का-मुक्की की गई। अध्यक्ष के मेज के माइक और अन्य सामग्री तक को तोड़ा गया। सचिव के सामने मेज पर की सामग्री तोड़ी गई। रिपोर्टर मेज को तीन बार तोड़ा गया और कुर्सियों को उठा-उठाकर पटका गया। चैंबर के पास विपक्ष के विधायक पुलिसकर्मियों से भी भिड़ गए। इसके बाद एक-एक कर विपक्ष के विधायकों को सुरक्षाकर्मी बाहर फेंकने लगे। इसके बाद रात 9 बजे के करीब अंतत: पुलिस की सहायता से विधेयक पारित हो पाया।
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