पंचायत चुनाव के संपन्न होने के साथ ही बिहार में सभी पार्टियों की नजर बिहार विधान परिषद चुनाव पर टिक गई है। वजह ये है कि स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि ही उन विधान परिषद की 24 सीटों के लिए मतदान करते हैं, जो फिलहाल खाली हैं। भाजपा और जदयू के बीच भी इन सीटों पर बंटवारे को लेकर कई दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन, मामला अब तक मामला पूरी तरह सुलझ नहीं पाया है। माना ये जा रहा है कि फिलहाल मामला यूपी में उम्मीदवारी ऐलान को लेकर अटका है।
जीतीं सीटें छोड़ने को तैयार नहीं भाजपा तो जदयू 12 से कम पर नहीं है राजी
भाजपा और जदयू के प्रवक्ता सोशल मीडिया पर भले ही बयानबाजी में मशगूल दिख रहे हों। लेकिन, इन पार्टियों के शीर्ष नेता असल में अंदर की लड़ाई लड़ने में फंसे हैं। यूपी में गठबंधन टूटने बाद सीट की संख्या पर खींचतान खत्म हो गई है लेकिन बिहार को लेकर ये लड़ाई अब भी जारी है। मामला बिहार विधान परिषद् की सीटों से जुड़ा है। जदयू इस चुनाव में भी जहां 50-50 फॉर्मूले पर अड़ी है वहीं भाजपा 13 से नीचे जाने को तैयार नहीं। जदयू की चाहत यह है कि 10-10 सीटों पर भाजपा और जदयू लड़े और 2 सीटें दोनों सहयोगी दलों को दिया जाए।
ये है जीतीं गई सीटों का समीकरण
2015 के विधान परिषद चुनाव में जिन सीटों पर भाजपा का कब्जा था वो हैं औरंगाबाद, सिवान, गोपालगंज, पू.चंपारण, दरभंगा, समस्तीपुर,बेगूसराय, मधुबनी, पूर्णिया, सारण और रोहतास। इसके अलावा कटिहार से निर्दलीय जीते अशोक अग्रवाल और लोजपा से जीतीं नूतन सिंह भी भाजपा में शामिल हो गईं थी। जदयू ने 5 सीटें जीती थीं। ये सीटें थीं नालंदा, गया, नवादा, मुजफ्फरपुर और बांका। बाद में भोजपुर के राधा चरण साह , मुंगेर के संजय प्रसाद और सीतामढ़ी के दिलीप राय भी राजद छोड़कर जदयू में शामिल हो गए। इसी तरह से पूर्वी चंपारण से कांग्रेस के टिकट पर जीते राजेश राम ने भी जदयू को समर्थन दे दिया। इस तरह से देखे तो कुल 9 जदयू की सीटें हो चली हैं।
यूपी में उम्मीदवारी ऐलान के बाद आएगी बिहार की बारी
जदयू हो या भाजपा अपने-अपने दावे से पीछे हटने को फिलहाल तैयार नहीं है। यही वजह है कि दोनों पार्टी के प्रवक्ताओं से लेकर बड़े नेताओं के बयानों में एक-दूसरे के प्रति लगातार तल्खी दिख रही है। जहां तक सीट बंटवारे की बात है माना ये जा रहा है कि यूपी में उम्मीदवारों के नामों की लिस्ट जारी करने के बाद ही भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस पर बात करेगा। उधर, जदयू की तरफ से अपना फॉर्मूला पहले ही भाजपा नेतृत्व को दे दिया गया है।
जदयू पुराने चेहरे पर ही दांव लगाएगी। इसके साथ ही दूसरी पार्टियों से लाये गए नेता भोजपुर से राधाचरण सेठ, मुंगेर से संजय प्रसाद को मौका मिलना तय है। पश्चिमी चंपारण से राजेश राम का नाम है। जदयू सीवान की सीट पर दावा कर सकती है। क्योंकि इस सीट से पिछली बार जीते टुन्ना जी पांडे ने नीतीश कुमार के खिलाफ खूब बयानबाजी की थी।
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