राजद की पत्रिका 'राजद समाचार ' का इस बार जननायक कर्पूरी ठाकुर अंक आया है। जानकारी है कि इसका लोकार्पण सोमवार को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और राजद समाचार पत्रिका के संपादक प्रेमकुमार मणि करेंगे। इस बार पत्रिका 36 पन्नों की है। जननायक का जन्म 24 जनवरी को हुआ था। पत्रिका के सबसे ऊपर प्रेमकुमार मणि का संपादकीय है और सबसे अंत में साहित्य अकादमी पुरस्कर प्राप्त कवि और कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो. जाबिर हुसेन की कविता 'भीड़ से घिरा आदमी' प्रकाशित है।
पत्रिका कितना संग्रहणीय है, इसी से समझा जा सकता है कि इसमें लालू प्रसाद, रामजीवन सिंह, शिवानंद तिवारी, अरूण रंजन, उदय नारायण चौधरी, तनवीर हसन, अशोक कुमार सिंह, सत्य नारायण प्रसाद यादव, जितेन्द्र कुमार, डॉ. रामखेलावन राय, जयंत जिज्ञासु के स्मरण लेख हैं। इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अंक पर अपनी बात कही है। कर्पूरी ठाकुर का अंतिम सार्वजनिक वक्तव्य जो उन्होंने विधायक क्लब सभा कक्ष में दिया था उसे 'हमारी संस्कृति में एकलव्य' नाम से प्रकाशित किया गया है।
कर्पूरी ने कहा था कि- ' मेरा विरोध करने वाले कट्टर जातिवादी हैं
इसमें कर्पूरी ठाकुर ने कहा था कि- 'भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि देवता दानव और नाग ये सब मिलकर भी एकलव्य को कभी परास्त नहीं कर सकते थे अगर उसका दाहिना अंगूठा सुरक्षित रहता।' इस अंक में कर्पूरी ठाकुर का दिसंबर 1978 में एक पत्रिका को दिया इंटरव्यू भी प्रकाशित किया गया है जिसमें कर्पूरी ने कहा था कि- ' मेरा विरोध करने वाले कट्टर जातिवादी हैं। 'भूमि सुधार पर कर्पूरी के विचार भी इसमें प्रकाशित है। इसके अलावा इसमें कर्पूरी ठाकुर का संक्षिप्त जीवन परिचय है। रवीन्द्र भारती का लेख 'कर्पूरी ठाकुर की दुनिया' के साथ 'कर्पूरी जी के गांव में' अरुण आनंद और संतोष यादव ने लिखा है।
तेजस्वी ने लिखा- समाज के निर्माण के लिए कृत संकल्प हैं
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपनी बात यहीं से शुरू की है- मैंने कर्पूरी ठाकुर को नहीं देखा है। आगे तेजस्वी ने लिखा है- समाज के सामंतवादी-जमींदार मिजाज के लोगों को वह फूटी आंख नहीं सुहाते थे।...हम ऐसे समाज के निर्माण के लिए कृत संकल्प हैं जहां सबको इज्जत की रोटी और विकास का समान अवसर मुहैया हो।
अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा का जनतंत्रीकरण किया
प्रेम कुमार मणि ने संपादकीय में कहा है कि- सब मिलाकर मुश्किल से कर्पूरी ठाकुर तीन- साढ़े तीन साल सरकार में रहे होंगे, उनसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले अनेक लोग हुए लेकिन उनलोगों ने वैसी छाप नहीं छोड़ी जैसी कर्पूरी जी ने। मणि ने कहा है कि अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा का जनतंत्रीकरण किया।1977 में जब वे मुख्यमंत्री थे तब नगर निगम के एक सफाई कर्मचारी ठकैता डोम की पुलिस हाजत में हत्या हो गई थी। उन्होंने इसकी लीपापोती नहीं की जैसा कि सरकारें करती हैं। उन्होंने पुलिस की गलती मानी और पुत्रवत खुद मुखाग्नि दी। भूमि सुधार आयोग और कॉमन स्कूल सिस्टम के लिए गठित आयोग की सिफारिशें आज ठंडे बस्ते में पड़ी हैं। न कोई लागू कर रहा है न इसके लिए कोई आंदोलन हो रहा है।
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