15 दिन पहले पटना के जिस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बड़े-बड़े दावे किए, वहां हकीकत कुछ और है। हॉस्पिटल का सिस्टम वेंटिलेटर पर है। मरीज का दर्द हकीकत बयां कर रहा है।
पटना में 9 जून को नगर निगम की गाड़ी से गंभीर रूप से घायल दिनेश राय का पैर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की लापरवाही से सड़ रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्च नहीं उठा पाने वाले इस मरीज को राजवंशी नगर हड्डी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बावजूद उसकी पैर की टूटी हड्डी का ऑपरेशन नहीं हो पाया।
दिनेश राय जहानाबाद क्षेत्र का मूल निवासी है। वह पटना में 7 साल से रहकर ठेला चलाता है। इससे परिवार का पेट पालता है। उसकी पत्नी और और 4 छोटे बच्चे भी पटना में साथ रहते हैं। दिनेश को नगर निगम की गाड़ी ने 9 जून को तेज रफ्तार में ठोकर मार दी थी। इस घटना में दिनेश गंभीर रूप से घायल हो गया। पैर की हड्डी टूट गई। पहले आसपास के लोगों ने उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन पैसा नहीं होने के कारण इलाज नहीं हो पाया। टूटी हड्डी में वह ठेले पर पड़ा रहा और उसे पूछने वाला कोई नहीं था।
भास्कर ने उठाया मामला तब प्रशासन ने कराया भर्ती
सरकारी दावों के बीच एक मरीज की लाचारी का मामला दैनिक भास्कर ने उठाया तो हड़कंप मचा। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने आनन-फानन में उसे पटना में हड्डी के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल राजवंशी नगर में भर्ती कराया। जिस मरीज को जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की मदद से भर्ती कराया गया, उसे बिना ऑपरेशन किए ही कुछ दिन बाद छोड़ दिया गया। सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में मरीज का ऑपरेशन नहीं होना बड़ा मामला है। डॉक्टर बता भी नहीं पा रहे हैं कि ऐसा किस परिस्थिति में हुआ है। राजवंशी नगर हड्डी अस्पताल के निदेशक डॉ. सुभाष का कहना है- 'पता लगा रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ? मरीज भर्ती होता है तो बिना ऑपरेशन नहीं छोड़ा जाता। इस केस में पड़ताल कर रहे हैं।'
सड़ रहा पैर, अब जान पर संकट
दिनेश हड़ताली मोड़ पर फिर उसी ठेले पर पड़ा है, जहां से उठाकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। पैर से बदबू के कारण लोग नजदीक नहीं जा रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चों को अब दो जून की रोटी के भी लाले पड़े हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और बिग हेल्पर टीम के सनी सिंह ने लोगों से मदद मांग कर दिनेश के लिए व्यवस्था की है, तब बच्चों का पेट भर रहा है। प्रशासन से बार-बार मांग की जा रही है, लेकिन इलाज नहीं हो पा रहा है
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