महागठबंधन की सरकार की कैबिनेट विस्तार के दूसरे दिन ही JDU में कलह मच गई। पार्टी की रुपौली विधायक बीमा भारती ने अपनी ही पार्टी के अंदर बगावत कर दी है। बीमा भारती ने मंत्री लेशी सिंह पर कई संगीन आरोप लगाए। कहा- जो उनका विरोध करता है, उसका मर्डर करा देती हैं।
मुख्यमंत्री से अपील किया है कि जल्द से जल्द यदि मुख्यमंत्री लेशी सिंह का इस्तीफा नहीं लेते हैं तो वह अपने विधायकी से इस्तीफा दे देंगे। इसके पहले कानून मंत्री कार्तिक कुमार पर पुराने आपराधिक मामले को लेकर सरकार की छिछालेदार हुई है।
बीमा भारती पूर्णिया जिले के रुपौली से विधायक हैं। 5 बार से वह लगातार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती रही हैं। सरकार में वह मंत्री भी रही है। लेकिन, जैसे ही पूर्णिया क्षेत्र से ही आने वाली धमदाहा विधायक लेशी सिंह को फिर से मंत्री बनाया गया तो, बीमा भारती का गुस्सा सातवें आसमान पर आ गया।
बीमा भारती ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए कहा कि लेशी सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहती है। जो उनका विरोध करता है उसका वह मर्डर करा देती हैं। वह, अपनी जाति को भी छुपाती हैं। वो राजपूत नहीं बनौत हैं।
मेरी बेटी को हरवा दिया था
बीमा भारती यहीं नहीं रुकी, उन्होंने कहा कि मेरे विरुद्ध लेसी सिंह लगातार षड्यंत्र रची रही हैं। मेरी बेटी जिला परिषद में चुनाव में खड़ी थी तो, लेशी सिंह और उनके पुत्र ने मिलकर मेरी बेटी को 3 वोट से हरवा दिया। मुझे मंत्री नहीं बनाया, इसका दुख नहीं है। उसे मंत्री बनाया है इसका मुझे दुख है। पार्टी में और भी महिला विधायक हैं, जिन्हें मंत्री बनाना चाहिए।
मैंने यह सारी बातें अपने आलाकमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को, राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को बता दिया है। बीमा भारती ने अंत में कहा कि मीडिया के माध्यम से भी मुख्यमंत्री से अपील करती हूं कि वह जल्द से जल्द लेशी सिंह का इस्तीफा ले लें नहीं तो मैं अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दूंगी।
इधर, भाकपा-माले ने कानून मंत्री को लेकर पुनर्विचार की मांग की
महागठबंधन में शामिल और बाहर से सरकार को समर्थन दे रही भाकपा-माले ने भी मुसीबत बढ़ा दी है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से अपहरण के एक मामले में नवनियुक्त विधि मंत्री कार्तिक सिंह के मंत्री पद पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि ऐसे लोगों के मंत्री पद पर रहने से सरकार की छवि धूमिल होती है।
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