पटना हाईकोर्ट ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाक्टर राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई और वहां उनके स्मारक की दयनीय स्थिति के मामले पर शनिवार को सुनवाई हुई। वर्चुअल रूप से हुई इस सुनवाई में केंद्र सरकार द्वारा उक्त मामले में हलफनामा दाखिल नहीं किये जाने की वजह से इसको आगामी शुक्रवार के लिए टाल दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल व जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। सभी संबंधित पक्षों को हलफनामा दाखिल करने के लिए ये अंतिम मौका दिया है।
इसके पूर्व भी जवाब नहीं दिए जाने की वजह से सुनवाई टाल दी गई थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार समेत तीन सदस्यीय वकीलों की कमिटी गठित की थी। कोर्ट ने समिति को इन स्मारकों के हालात का जायजा लेकर रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। कमिटी ने जीरादेई स्थित डॉ राजेंद्र प्रसाद की पुश्तैनी घर का जर्जर हालत, वहां बुनियादी सुविधाओं की कमी और विकास में पीछे रह जाने की बात कही थी। इसके साथ ही पटना के बांसघाट स्थित उनके समाधि स्थल पर गंदगी और रखरखाव की स्थिति भी असंतोषजनक पाया था। पटना के सदाकत आश्रम की दुर्दशा को भी वकीलों की कमिटी ने गंभीरता से लिया था।
घर और स्मारकों स्थिति और भी खराब हैं। जिसकी लगातार उपेक्षा की जा रही है। याचिकाकर्ता का कहना था कि केंद्र व राज्य सरकार के इसी उपेक्षापूर्ण रवैये की वजग से स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि पटना के सदाकत आश्रम और बांसघाट स्थित उनसे संबंधित स्मारकों की दुर्दशा भी साफ दिखती है। सफाई, रोशनी और लगातार देख रेख नहीं किये जाने के कारण स्मारक और ऐतिहासिक धरोहर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई आगामी शुक्रवार को की जाएगी।
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