पटना की हवा जहरीली हो गई है। हवा में घुलता जहर कोरोना का कंफ्यूजन पैदा कर रहा है। हर दिन अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या 40% है जो पॉल्यूशन के कारण सांस की तकलीफ में कोरोना का कंफ्यूजन लेकर पहुंच रहे हैं। पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 348 है जो फेफड़े के लिए कोरोना की तरह खतरनाक है। एक्सपर्ट का कहना है कि सांस की हर तकलीफ कोविड नहीं है, लक्षण आए तो घबराना नहीं है। जानिए कोरोना काल में सेहत पर भारी पड़ रही जहरीली हवा से कैसे निपटा जाए।
जानिए हवा कैसे कर रही सांस को प्रभावित
पटना में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 348 है। प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक पटना के IGISC कॉम्पलेक्स की तरफ हवा सबसे जहरीली है। इसके बाद राजवंशी नगर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 339 हैं। राजकीय हाई स्कूल शिकारपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 336 है, जबकि मुरादपुर में 233 है। सेहत के हिसाब से यह हवा काफी जहरीली है। हवा के इस पॉल्यूशन को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने सांस के रोगियों को अलर्ट रहने की चेतावनी दी है। इन सभी सेंटर को रेड जोन में यानी खतरनाक जोन में रखा गया है। इसके अलावा समनपुरा में 212 और DRM ऑफिस दानापुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 197 रिकॉर्ड किया गया था। पॉल्यूशन के कारण ऐसी हवा कोरोना काल में सेहत पर काफी भारी पड़ रही है।
कोरोना के कंफ्यूजन वाले पहुंच रहे हॉस्पिटल
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चेस्ट रोग विभाग के प्रभारी विशेषज्ञ डॉक्टर मनीष शंकर का कहना है कि कोरोना का संक्रमण है, इसमें एयर क्वालिटी इंडेक्स का बड़ा रोल है। कोरोना का संक्रमण ही रेस्पिरेटरी सिस्टम से जुड़ा है। ऐसे में पॉल्यूशन वाली हवा के प्रभाव से ही कोरोना का कंफ्यूजन पैदा हो रहा है। इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में OPD 50 की फिक्स है। चेस्ट रोग विभाग में आने वाले मरीजों में कोरोना नहीं होता है, लेकिन प्रदूषित हवा के कारण सिस्टम कोरोना वाले ही होते हैं।
90% में कंफ्यूजन, 15 से 20% में कोविड
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के चेस्ट रोग विभाग में 50 मरीजों की OPD में 90% मरीजों में कोरोना का कंफ्यूजन होता है, लेकिन जांच में 15 से 20% में ही कोरोना की पॉजिटिव रिपोर्ट आती है। ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है। पैनिक होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सांस की हर समस्या में कोरोना नहीं मिल रहा है। डॉ. मनीष शंकर का कहना है कि सावधानी से ही जहरीली हवा और कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है। दमा और एलर्जी के मामले भी अधिक संख्या में आ रहे हैं। पटना मेडिकल कॉलेज में भी 90% कोरोना के कंफ्यूजन वाले मामले आ रहे हैं। कोविड के नोडल डॉ. अरुण अजय का कहना है कि प्रदूषण के कारण भी कोरोना की आशंका वाले लक्षण आ रहे हैं। सोमवार को 563 लोगों की जांच में 563 कंफ्यूजन वाले मामले ही रहे हैं।
एक उपाय से सेहत का दोहरा बचाव
चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष शंकर का कहना है कि कोरोना काल में कॉमन कोल्ड, एयर पॉल्यूशन और कोविड की बड़ी चुनौती है। ऐसे में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना ही सभी आशंका कंफ्यूजन को दूर करने वाला होगा। मास्क लगाने से कोरोना के वायरस से एयर पॉल्यूशन से भी काफी राहत मिल जाएगी। साफ-सफाई और मास्क से ही कोरोना का कंफ्यूजन दूर होने वाले लक्षण से मुक्ति मिल जाएगी।
जानिए कोरोना काल में जांच की बड़ी चुनौती
काेहरा में एयर पॉल्यूशन का प्रभाव अधिक
मौसम विभाग का कहना है कि कोहरा के कारण एयर पॉल्यूशन का असर कई गुणा बढ़ जाता है। इससे हवा जहरीला होता है। ऐसे में दमा और सांस के रोगियों के साथ सामान्य लोगों की भी समस्या बढ़ जाती है। एलर्जी और आंख नाक और गले में एयर पॉल्यूशन से संक्रमण हो जाता है। पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के चर्म रोग विशेष डॉ. विकास शंकर का कहना है कि एयर पॉल्यूशन के साथ कॉमन कोल्ड व कोरोना में मिलता जुलता लक्षण होगा। ऐसे में लोगों को अलर्ट रहना है और हर तकलीफ को काेराेना से नहीं जोड़ना है। एक्सपर्ट से बात करें और जरूरी हो तभी जांच कराएं।
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