लंबे इंतजार के बाद आखिर पटना एम्स में भी अब कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सुविधा बहाल हो गई है। स्टेट आर्गन टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (सोटो) और स्वास्थ्य विभाग ने ट्रांसप्लांट की अनुमति दे दी है। सोटो ने हाल ही में पटना एम्स में कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए ढांचागत सुविधाओं का निरीक्षण किया था। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी ट्रांसप्लांट शुरू करने की अनुमति पत्र दे दिया है। एम्स में नेत्र विभाग के प्रमुख डॉ. अमित राज के अनुसार, इसके लिए मरीजों को मात्र 1500 से 2000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। कॉर्निया के लिए एम्स और पीएमसीएच के बीच करार पत्र पर हस्ताक्षर हुआ है। जिससे पीएमसीएच से सरप्लस कॉर्निया एम्स को मिल सके।
पटना एम्स के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने कहा कि पटना एम्स में नेत्र बैंक स्थापित किया जा रहा है। उसकी प्रक्रिया भी अंतिम चरण में हैं। सिविल वर्क पूरा हो चुका है। कुछ जरूरी उपकरण की खरीद करनी है और कुछ मैनपावर की नियुक्ति के बाद एम्स का नेत्र बैंक भी कार्यरत हो जाएगा। नेत्र बैंक की सुविधा होने से कॉर्निया ट्रांसप्लांट में सहूलियत हो गई। मौत के बाद डोनर से मिलने वाला नेत्र को इसी बैंक में रखकर प्रोसेस किया जाएगा। डॉ. पाल ने कहा कि लिवर और किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा भी जल्द बहाल करने की प्रक्रिया शुरू है।
किसको ट्रांसप्लांट की होती है जरूरत..
पटना एम्स में नेत्र विभाग के प्रमुख डॉ. अमित राज ने बताया कि कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत कॉर्नियल ब्लाइंड व्यक्ति में दृष्टि बहाल करने का एकमात्र तरीका है। पोस्ट कॉर्नियल अल्सर मेल्ट, कॉर्नियल ओपेसिटी, पोस्ट ट्रॉमा, पोस्ट मोतियाबिंद के सर्जरी के बाद कॉर्निया का सफेद हो जाना, कॉर्नियल डिकंपेंसेंशन, जन्मजात कॉर्नियल समस्या में ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।
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