पटना में बैठकर साइबर फ्रॉड देशभर के लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। आर्थिक अपराध इकाई की जांच में सामने आया है कि पटना के अलावा नवादा, नालंदा, शेखपुरा, गया और जमुई साइबर अपराधियों के हॉट स्पॉट बन गए हैं। ये ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाली कंपनियों के डिलीवरी ब्वाॅय के साथ ही साइबर कैफे और फोटो स्टेट की दुकानों से ग्राहकों के नंबर और आधार नंबर खरीदते हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि बैंकों में अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारी से भी ग्राहकों का डेटा खरीदते हैं। 20 रुपए प्रति ग्राहक के हिसाब से मोबाइल नंबर खरीदते हैं। नालंदा और नवादा के शातिरों का कनेक्शन बंगाल और झारखंड के गैंग के साथ भी है। यह गिरोह बंगाल और झारखंड के गांवों के गरीब लोगों को झांसा देकर उनके नाम पर बैंक खाता खुलवाकर एटीएम कार्ड और पासबुक रख लेते हैं।
इसके बदले उन्हें 25 हजार रुपए तक देते हैं। एक करोड़ की जमीन होगी जब्त : नवंबर 2021 में पत्रकारनगर पुलिस ने बेलछी के मुन्ना को 1.50 लाख रुपए और 60 एटीएम के साथ गिरफ्तार किया था। मौके से नालंदा का शिव शंकर फरार हो गया था। शिवशंकर ने पटना में छोटी पहाड़ी के पास एक करोड़ में एक कट्ठा जमीन खरीदी है। वह जमीन जब्त होगी।
कई की तो पूरी फैमिली गोरखधंधे में शामिल
नालंदा-नवादा के कई शातिरों की पूरी फैमिली ही इस गोरखधंधे में शामिल है। दानापुर पुलिस की गिरफ्त में फरवरी में आया नवादा का अरविंद कुमार तीन साल से पटना में रहकर साइबर फ्रॉड कर रहा था। पता चला कि वह ठगी का पैसा अपने पिता के खाते में जमा करता है। उसका भाई भी इसमें शामिल है। वहीं पत्रकारनगर पुलिस द्वारा पकड़े गए विजय कुमार ने पुलिस को बताया था कि नालंदा के उसके साढू दीपक ने उसे इस धंधे में लाया था। उसका साला श्रवण और साली रूबी देवी भी साइबर फ्रॉड में शामिल है।
साइबर शातिर डार्क नेट से एवं अन्य एजेंसियों से उपभोक्ताओं का डेटा खरीदते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं। कपनियों को भी चाहिए कि वो उपभोग्ताओं का डेटा कम से कम एक्सपोज करें। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों को जागरुक रहने की आवश्यकता है।
-सुशील कुमार, एसपी, आर्थिक अपराध इकाई
गूगल के कस्टमर केयर पर कॉल करते ही बैंक खातें से उड़ रहे पैसे
साइबर अपराधी लाेगाें काे ठगी का शिकार बनाने के लिए हर बार नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। बदमाश कभी ओटीपी भेजकर लाेगाें काे अपने जाल में झांफ रहे हैं ताे कभी इनाम मिलने का लालच देकर ठग रहे हैं। अब अपराधी कंपनियाें के कस्टमर केयर काे अपना नया हथियार बना लिया है।। साइबर अपराधी लाेकल स्तर पर सर्च कर यह पता लगाते है कि कहां-कहां व किन-किन कंपनियाें के कस्टमर सर्विस काे लाेग नेट पर सर्च करते हैं।
इस आधार पर वे वैसे कंपनी के मिलते-जुलते नामाें से फर्जी वेबसाइट का रजिस्ट्रेशन कराकर उसपर अपना माेबाइल नंबर अपलाेड कर देते हैं। यही नहीं साइबर गिराेह के लाेग उसे खुद सर्च करने के लिए कहते हैं। ऐसे में जब भी काेई उस कंपनी का नंबर सर्च करता है ताे पहले साइबर अपराधियाें का नंबर ही सामने आता है। इनमें सर्वाधिक बैंकाें, कुरियर कंपनी, ई-काॅमर्स कंपनी के नंबर शामिल हैं। ऐसी कंपनियां सेवा देने के लिए माेबाइल स्क्रीन शेयरिंग एप अपलाेड कराने के साथ 1 से 10 रुपए सर्विस चार्ज पेमेंट करने का झांसा देते हैं। जैसे ही आप पैसे ट्रांसफर करते हैं, साइबर अपराधी आपके बैंक अकाउंट
में सेंधमारी कर पैसे की निकासी कर लेते हैं।
कंपनियाें काे पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग
पुलिस साेशल मीडिया व प्रचार प्रसार के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चला रखा है। इंटरनेट पर साइबर अपराधियाें के नंबर काे हटाने के लिए पत्राचार किया गया है। टेलीकाॅम कंपनियाें काे भी ऐसे नंबर काे ट्रैक कर कार्रवाई करने अनुराेध किया गया है।'' संजीव कुमार, एसएसपी, धनबाद
ठगी से बचना है, ताे यह सावधानी बरते
सुमिल साैरभ लकड़ा, साइबर डीएसपी
केस स्टडी
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