20 रुपए में आपकी डिटेल खरीदी...और अकाउंट साफ:डिलीवरी ब्वॉय और फोटो कॉपी की दुकानों से पर्सनल जानकारी जुटा रहे साइबर फ्रॉड

पटना8 महीने पहलेलेखक: शशि सागर
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पटना में बैठकर साइबर फ्रॉड देशभर के लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। आर्थिक अपराध इकाई की जांच में सामने आया है कि पटना के अलावा नवादा, नालंदा, शेखपुरा, गया और जमुई साइबर अपराधियों के हॉट स्पॉट बन गए हैं। ये ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाली कंपनियों के डिलीवरी ब्वाॅय के साथ ही साइबर कैफे और फोटो स्टेट की दुकानों से ग्राहकों के नंबर और आधार नंबर खरीदते हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि बैंकों में अनुबंध पर काम करने वाले कर्मचारी से भी ग्राहकों का डेटा खरीदते हैं। 20 रुपए प्रति ग्राहक के हिसाब से मोबाइल नंबर खरीदते हैं। नालंदा और नवादा के शातिरों का कनेक्शन बंगाल और झारखंड के गैंग के साथ भी है। यह गिरोह बंगाल और झारखंड के गांवों के गरीब लोगों को झांसा देकर उनके नाम पर बैंक खाता खुलवाकर एटीएम कार्ड और पासबुक रख लेते हैं।

इसके बदले उन्हें 25 हजार रुपए तक देते हैं। एक करोड़ की जमीन होगी जब्त : नवंबर 2021 में पत्रकारनगर पुलिस ने बेलछी के मुन्ना को 1.50 लाख रुपए और 60 एटीएम के साथ गिरफ्तार किया था। मौके से नालंदा का शिव शंकर फरार हो गया था। शिवशंकर ने पटना में छोटी पहाड़ी के पास एक करोड़ में एक कट्ठा जमीन खरीदी है। वह जमीन जब्त होगी।

कई की तो पूरी फैमिली गोरखधंधे में शामिल

नालंदा-नवादा के कई शातिरों की पूरी फैमिली ही इस गोरखधंधे में शामिल है। दानापुर पुलिस की गिरफ्त में फरवरी में आया नवादा का अरविंद कुमार तीन साल से पटना में रहकर साइबर फ्रॉड कर रहा था। पता चला कि वह ठगी का पैसा अपने पिता के खाते में जमा करता है। उसका भाई भी इसमें शामिल है। वहीं पत्रकारनगर पुलिस द्वारा पकड़े गए विजय कुमार ने पुलिस को बताया था कि नालंदा के उसके साढू दीपक ने उसे इस धंधे में लाया था। उसका साला श्रवण और साली रूबी देवी भी साइबर फ्रॉड में शामिल है।

साइबर शातिर डार्क नेट से एवं अन्य एजेंसियों से उपभोक्ताओं का डेटा खरीदते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर रहे हैं। कपनियों को भी चाहिए कि वो उपभोग्ताओं का डेटा कम से कम एक्सपोज करें। साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों को जागरुक रहने की आवश्यकता है।

-सुशील कुमार, एसपी, आर्थिक अपराध इकाई

गूगल के कस्टमर केयर पर कॉल करते ही बैंक खातें से उड़ रहे पैसे

साइबर अपराधी लाेगाें काे ठगी का शिकार बनाने के लिए हर बार नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। बदमाश कभी ओटीपी भेजकर लाेगाें काे अपने जाल में झांफ रहे हैं ताे कभी इनाम मिलने का लालच देकर ठग रहे हैं। अब अपराधी कंपनियाें के कस्टमर केयर काे अपना नया हथियार बना लिया है।। साइबर अपराधी लाेकल स्तर पर सर्च कर यह पता लगाते है कि कहां-कहां व किन-किन कंपनियाें के कस्टमर सर्विस काे लाेग नेट पर सर्च करते हैं।

इस आधार पर वे वैसे कंपनी के मिलते-जुलते नामाें से फर्जी वेबसाइट का रजिस्ट्रेशन कराकर उसपर अपना माेबाइल नंबर अपलाेड कर देते हैं। यही नहीं साइबर गिराेह के लाेग उसे खुद सर्च करने के लिए कहते हैं। ऐसे में जब भी काेई उस कंपनी का नंबर सर्च करता है ताे पहले साइबर अपराधियाें का नंबर ही सामने आता है। इनमें सर्वाधिक बैंकाें, कुरियर कंपनी, ई-काॅमर्स कंपनी के नंबर शामिल हैं। ऐसी कंपनियां सेवा देने के लिए माेबाइल स्क्रीन शेयरिंग एप अपलाेड कराने के साथ 1 से 10 रुपए सर्विस चार्ज पेमेंट करने का झांसा देते हैं। जैसे ही आप पैसे ट्रांसफर करते हैं, साइबर अपराधी आपके बैंक अकाउंट

में सेंधमारी कर पैसे की निकासी कर लेते हैं।

  • 1 से 10 रुपए सर्विस चार्ज पेमेंट करते ही लाेगाें काे बना रहे ठगी का शिकार
  • इन तरीकाें काे पहचानिए क्याेंकि- बैंक में जमा पूंजी आप की गाढ़ी कमाई है...
  • . बड़ी कंपनियाें के फर्जी वेबसाइट : बड़ी कंपनियाें के वेबसाइट के हूबहू फर्जी वेबसाइट पर अपराधियाें का अपना माेबाइल नंबर हाेता है।
  • . कस्टमर केयर व हेल्पलाइन नंबर भी फर्जी : नेट पर अधिकांश बैंक का कस्टमर केयर व हेल्पलाइन नंबर फर्जी नंबर डाल कर रखा है। ठग माेबाइल पर लिंक भेज फाॅर्म भरने का झांसा देकर पैसे की निकासी कर लेते हैं।
  • . कुरियर कंपनी के नाम पर भी फर्जीवाड़ा : साइबर अपराधियाें ने कुरियर कंपनी का फर्जी वेबसाइट बनाकर उसमें अपना नंबर डाल रखा है। पार्सल व डाॅक्यूमेंट काे लाेकेशन ट्रैक करने के नाम पर 10 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर की बात कर ठगी का शिकार बनाते हैं।

कंपनियाें काे पत्र लिखकर कार्रवाई करने की मांग

पुलिस साेशल मीडिया व प्रचार प्रसार के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चला रखा है। इंटरनेट पर साइबर अपराधियाें के नंबर काे हटाने के लिए पत्राचार किया गया है। टेलीकाॅम कंपनियाें काे भी ऐसे नंबर काे ट्रैक कर कार्रवाई करने अनुराेध किया गया है।'' संजीव कुमार, एसएसपी, धनबाद

ठगी से बचना है, ताे यह सावधानी बरते

  • . इंटरनेट पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें।
  • . संबंधित कंपनी के हाेमपेज पर जाकर नंबर खाेजें
  • . कस्टमर केयर नंबर में माेबाइल नंबर नहीं हाेता, यह 1800 नंबर की सीरीज से शुरू हाेता है।
  • . वेबसाइट में लिंक https:// से शुरू हाेता है। अगर s नहीं लिखा है ताे वह साइट सुरक्षित नहीं है।
  • . काेई लिंक भेज कर पैसे डालने काे कहे ताे ऐसा कभी न करें।

सुमिल साैरभ लकड़ा, साइबर डीएसपी

केस स्टडी

  • धनसार की रहने वाली संगीता सिंह ने अपने पार्सल काे ट्रैक करने के लिए नेट से कंपनी का हेल्पलाइन नंबर खाेज कर फाेन किया। 10 रुपए पेमेंट करने का झांसा देकर उनके अकाउंट से 80 हजार रुपए की निकासी कर ली गई।
  • एटीएम खाेने पर अकाउंट काे हाेल्ड कराने के लिए हीरापुर के रमेश कुमार ने इंटरनेट पर बैंक का हेल्पलाइन नंबर सर्च किया। नंबर पर फाेन किया ताे उनके माेबाइल काे स्क्रीन शेयरिंग कर 40 हजार रुपए की निकासी कर ली गई।
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