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आम आदमी के लिए शुक्रवार को वैक्सीनेशन नहीं था तो IGIMS में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव समेत 10 VIP कोरोना का वैक्सीन ले गए। न एक ज्यादा, न एक कम। कारण एक वॉयल से 10 को वैक्सीन दी जाती है। कम को दिया और वायल में वैक्सीन बच गई तो खुलने के 4 घंटे में बर्बाद हो जाती है। यह फंडा VIP वैक्सीनेशन में ही नहीं, आम शिड्यूल में भी अपनाया जा रहा है। मतलब, 19 लोग आ गए तो पहले 10 को मिला और बाकी 9 को 10वें के लिए इंतजार करना पड़ता है। बिहार में पहले दिन ही तय संख्या के 61% हेल्थ वर्करों ने वैक्सीन ली। फिर संख्या गिरकर 50% के औसत पर अटकी है। भास्कर पड़ताल में यह भी सामने आई कि जहां वैक्सीन लेने पहुंचे लोगों को इंतजार नहीं कराया जा रहा, वहां यह बर्बाद भी हो रही। कोरोना के लिए डेडिकेटेड राज्य के दूसरे सबसे बड़े अस्पताल NMCH की तस्वीरें यह हकीकत सामने ला रही हैं।
NMCH की पड़ताल में चौंकाने वाला खुलासा
दैनिक भास्कर की टीम ने जब नालंदा मेडिकल कॉलेज में वैक्सीनेशन की पड़ताल की तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। देश के वैज्ञानिकों ने रात-दिन जाग कर जिस वैक्सीन को तैयार किया, उसकी डोज यहां फेंकी जा रही है। PMCH के वैक्सीन सेंटर पर 3 दिनों में 27 डोज बर्बाद हुई है। NMCH में कोवैक्सीन की डोज दी जा रही है। इसकी एक वायल में 20 डोज होती है, इस वैक्सीन सेंटर पर अभी तक 27 डोज बर्बाद हुई है। यहां 16 जनवरी को 31 हेल्थ वर्करों, ,17 जनवरी को 28 हेल्थ वर्करों को टीका लगा। 19 जनवरी को 11 हेल्थ वर्कर वैक्सीन लिए हैं। जो भी संख्या वैक्सीन लेने वालों की रही, वह वैक्सीन की डोज के बराबर नहीं थी। ऐसे में हर दिन वैक्सीन की डोज बेकार हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि एक फाइल से 20 लोगों का टीकाकरण किया जाता है। खुलने के 4 घंटे बाद वैक्सीन खराब हो जाती है।
NMCH के MO ने बताया कारण
NMCH के मेडिकल अफसर डॉ राजीव कुमार का कहना है कि 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत की गई। उस दिन 31 हेल्थ वर्करों का वैक्सीनेशन हुआ, संख्या के हिसाब से दो वायल खोली गई। इसमें 8 स्वास्थ्य कर्मियों का और टीकाकारण हो सकता था, लेकिन वह नहीं आए। ऐसे में 8 लोगों की डोज बर्बाद हो गई। ऐसा हर दिन हो रहा। डोज और वैक्सीन लेने वालों की संख्या का मेल नहीं होने पर बड़ी समस्या होती है। ऐसे में या तो वैक्सीन खराब होती है या फिर वैक्सीनेशन का काम नहीं हो पाता है।
यह है दोनों वैक्सीनों की वायल की डोज
बिहार में कोविशील्ड वैक्सीन की पहली खेप 54,900 वायल की आई है। कोवैक्सीन की 20,000 डोज आई है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक कोविशील्ड की एक वायल में 10 टीकाकरण और कोवैक्सीन के एक वायल में 20 लोगों का टीकाकरण होता है। एक्स्पर्ट का कहना है कि अगर वैक्सीन की वायल खुलने के बाद डोज बच जाती है तो वह भी 4 घंटे बाद बेकार हो जाती है। ऐसे में एक साथ 10 और 20 लोगों का सामंजस्य बैठाने में ही समस्या हो रही है।
वैक्सीनेशन का ग्राफ कम होने की पड़ताल में 5 बड़े कारण आए सामने
दैनिक भास्कर ने जब वैक्सीनेशन का ग्राफ कम होने को लेकर अस्पतालों की पड़ताल की तो 5 बड़े कारण सामने आए हैं। ये वे बड़े कारण हैं, जिनमें अस्पताल भी चाहकर कुछ नहीं कर पा रहा है। पड़ताल में जो 5 बड़े कारण सामने आए हैं, वह इस तरह हैं।
(मनीष मिश्रा और पटना सिटी से दयानंद के इनपुट के साथ )
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