बिहार विधान परिषद की 24 सीटों पर होने वाले विधान परिषद् चुनाव को लेकर कांग्रेस और राजद के बीच समझौता नहीं हुआ है कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा। राजद, कांग्रेस को एक भी वैसी सीट नहीं देना चाहती, जिस पर जीत का शक हो। उपचुनाव की तरह इस बार भी तनातनी दिख रही है। हालांकि अंतिम रुप से यह नहीं कहा गया है कि राजद और कांग्रेस अलग-अलग लड़ेगी।
जानकारी है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता अजीत शर्मा दिल्ली में राजद के बड़े नेताओं से मिलेंगे और इस गतिरोध को दूर किया जाएगा। इस सब के बीच कांग्रेस के पूर्व विधायक और युवा नेता ऋषि मिश्रा ने कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नीति निर्धारक नेताओं को निशाने पर लिया है।
7 सीट पर किसे लड़ाएगी कांग्रेस, यह बताना चाहिए
ऋषि मिश्रा ने भास्कर से बातचीत में कहा है कि हमारा सवाल है कि राजद से गठबंधन क्यों हो और किसके लिए हो ? उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि राजेश राम के बेटे की वजह से उपचुनाव में राजद-कांग्रेस का गठबंधन टूट गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के प्रदेश के बड़े नेताओं को सिर्फ अपने बच्चों की चिंता है या अपनी चिंता है। आम कांग्रेसी की चिंता नहीं है।
कांग्रेस 7 सीट मांग रही है तो सात नाम सामने लाना चाहिए। लेकिन कांग्रेस को मजबूत करने की बजाय खुद को मजबूत करने में लगे हुए हैं बड़े नेता। 2012 के उपचुनाव में जाले से विधायक चुने गए थे ऋषि मिश्रा और फिर 2015 में चुनाव लड़े। लेकिन 1600 वोट से हार गए थे।
आलाकमान को गलत जानकारी देकर गुमराह करते हैं
ऋषि मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को बिहार के शीर्ष नेता कंफ्यूज करते हैं। गलत तरीके से जानकारी देते हैं। कहा कि ऐसे नेताओं की स्वार्थ की वजह से कांग्रेस बिहार में कमजोर हो गई है। एनडीए को कैसे हराना है इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है। इस बात की चर्चा खूब है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अपने बेटे को एमएलसी बनाना चाहते हैं।
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