पटना जिले में चलने वाली सीएनजी गाड़ियाें के सिलेंडर की जांच हाेगी। सिलेंडर ब्लास्ट से निजात दिलाने के लिए हर तीन साल पर सिलेंडर को हाइड्रो टेस्टिंग से गुजरना पड़ेगा। सीएनजी बस, कार और थ्री व्हीलर के की जांच कराना अनिवार्य है। परिवहन विभाग के अधिकारी के मुताबिक सिलेंडर हाइड्रो टेस्ट के दौरान फेल हो जाता है तो उसे रिजेक्ट कर दिया जाएगा। सिलेंडर को वापस वाहन मालिक को नहीं दिया जाएगा।
हाइड्राे टेस्ट के बाद वाहन मालिकों को प्रमाणपत्र मिलेगा। प्रमाणपत्र की मान्यता तीन साल तक होगी। तीन साल बाद फिर से जांच करानी होगी। अभी दिल्ली और उत्तरप्रदेश में नियम है कि अगर सिलेंडर की हाइड्रो टेस्टिंग नहीं कराई गई है और यह किसी वजह से ब्लास्ट हो जाता है तो इश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा। यदि हाइड्राे टेस्टिंग करा चुके हैं ताे क्लेम मिलेगा।
पटना में 23 हजार से अधिक सीएनजी गाड़ियां
पटना में एक ही जांच कंपनी
बिजनेस डेवलपर भारतेंदु विमल के मुताबिक त्योत्स्ना सीएनजी सोल्युशन बिहार-झारखंड की इकलौती कंपनी है, जो भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है। पटना के नौबतपुर और बिक्रम के बीच महजपुरा के पास एजेंसी खोली गई है। यहां सिलेंडर की हाइड्रो टेस्टिंग की जाएगी। चेक करने के लिए 350 की स्पीड से पानी से छोड़ा जाता है। अगर इस दौरान सिलेंडर ने ब्लास्ट नहीं किया तो मजबूत है। अभी सीएनजी स्टेशन पर 215 की स्पीड से गैस डाली जा रही है।
एक्सपर्ट बाेले-अगर सिलेंडर लाेकल हाे ताे दाे साल में ही करा लें जांच
गेल पटना के जीएम एके सिन्हा ने कहा कि वाहनों के सिलिंडर में तीन साल तक सीएनजी भरने से धीरे-धीरे कमजोर होने की संभावना रहती है। टंकी खराब होने, सील खुलने, वॉल्व खराब होने का खतरा रहता है। अगर सिलिंडर कमजोर है और पाइप से गैस लीक हो रही है तो दुर्घटना की आशंका काफी बढ़ जाती है। वहीं कमजोर होने से सिलेंडर कभी भी फट सकता है। इसलिए तीन साल में हाइड्रो टेस्ट करवाना जरूरी है।
इस टेस्ट में सिलेंडर की क्षमता का डेढ़ गुना प्रेशर मशीन द्वारा चेक किया जाता है। जांच में यदि सिलिंडर फेल पाया जाए तो उसे गाड़ी मालिक को लौटाने के बजाय रिजेक्ट कर दिया जाता है। इसके अलावा सीएनजी पाइपलाइन की भी जांच की जाती है। अगर सिलेंडर लोकल है तो जांच दो साल में ही करा लेनी चाहिए।
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