अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने फिर एक बार विवादित बयान डे डाला है। मांझी ने रामायण और राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया है। मांझी ने मंगलवार को मध्यप्रदेश की तर्ज पर बिहार के पाठ्यक्रम में भी रामायण को शामिल किए जाने के सवाल पर कहा कि रामायण की कहानी को हम सत्य नहीं मानते हैं।
राम को अगर कहा जाए कि वे कोई महापुरुष और जीवित थे, तो इस चीज को मैं नहीं मानता हूं। हां, लेकिन रामायण में जो बातें बताई गई हैं वह सीखने वाली है। रामायण कथा में कई श्लोक और संदेश हैं जो लोगों के बेहतर व्यक्तित्व के निर्माण में सहायक है। महिलाओं के सम्मान की बात हो या फिर बड़ों के आदर की बात हो, रामायण शिक्षा देती है। रामायण में शामिल बातों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि लोग शिक्षा लें। बिहार में एनडीए के पार्टनर हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के इस बयान से विवाद शुरू हो गया है।
लाेगों की आस्था से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने भी मांझी का नाम लिए बगैर उन्हें नासमझ तक कह दिया। मांझी के इस बयान पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि राम और रामायण के अस्तित्व को कौन नकार सकता है। नासा ने भी उसके अस्तित्व को स्वीकार किया है। यूपीए की सरकार में राम सेतु को लेकर सवाल उठाए जा रहे थे लेकिन नासा ने राम की सत्यता को स्वीकार किया।
राम और रामायण को कोई भी व्यक्ति नकार नहीं सकता। इसके बावजूद अगर कोई इस तरह की बात करता है तो उन्हें रामायण पढ़ने की आवश्यकता है। पटेल ने यह भी कहा कि करोड़ों लोगों की आस्था से खिलवाड़ करने का किसी को कोई अधिकार नहीं है।
पहले भी विवादित बयान दे चुके हैं मांझी
मांझी अपने बयानों को लेकर अक्सर विवादों में रहते हैं। कोरोटा टीका के प्रमाण पत्र को लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया था। कोटोना टीका प्रमाण पत्र पर पीएम की तस्वीर को लेकर मांझी ने कह दिया था कि वैक्सीन के सर्टिफिकेट पर यदि तस्वीर लगाने का इतना ही शौक है तो कोरोना से हो रही मृत्यु के डेथ सर्टिफिकेट पर भी तस्वीर लगाई जाए। यही न्याय संगत होगा। शराबबंदी को लेकर भी उनके बयान कि दलितों को निशाना बनाया जा रहा है, से सत्ता पक्ष असहज होता रहा है।
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