बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समलैंगिक शादी पर विवादित बयान दिया है। CM ने कहा, 'लड़का-लड़का शादी करेगा तो बच्चा कहां से पैदा होगा?' उन्होंने ये बातें एक गर्ल्स हॉस्टल के शुभारंभ के समय अपने कॉलेज के दिनों के किस्से बताते हुए कही।
महिलाओं की तारीफ करते-करते बिहार के मुखिया समलैंगिकता पर भी बोले। उन्होंने कहा, 'शादी होगी तभी तो बाल-बच्चे होंगे, बिना स्त्री के कोई पैदा हुआ है? लड़का-लड़का शादी कर लेगा तो कोई पैदा होगा?' उन्होंने दहेज के लिए भी कटाक्ष किया और कहा कि इसके बाद भी लोग शादी करने के लिए दहेज की मांग करते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा, 'जब हम लोग इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते थे तो एक भी लड़की साथ में नहीं पढ़ती थी। क्या स्थिति थी, इतना खराब लगता था। कोई भी महिला आ जाती थी तो सब लोग खड़े होकर उसको देखने लगते थे।'
महिमा छात्रावास का किया उद्घाटन
नीतीश बोले, 'अब देख लीजिए कि इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में कितनी लड़कियां पढ़ रही हैं।' नीतीश कुमार सोमवार को पटना के गांधी मैदान स्थिति मगध महिला कॉलेज के 504 बेड के जी प्लस 7 की तर्ज पर बने महिमा छात्रावास का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
आधुनिक सुविधाओं से युक्त है हॉस्टल
मगध महिला कॉलेज में बना हॉस्टल राज्य सरकार की ओर से 31.8 करोड़ रुपये खर्च कर बना है। इस छात्रावास के हर फ्लोर पर 18 कमरे, 16 वॉशरूम और 12 स्नानघर हैं। एक कमरे में तीन छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। यहां नीतीश कुमार का महिलाओं पर फोकस करने का मतलब था कि आज लड़कियों को हर क्षेत्र में मौका मिला है।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि महिलाओं के विकास के क्षेत्र में काफी काम किया है। इंजीनियरिंग हो या मेडिकल कॉलेज सभी कोर्सेज में महिलाओं के लिए प्रदेश में सीटें आरक्षित की गई हैं।
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को माना था मौलिक अधिकार
सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने छह सितंबर 2018 को (नवतेज सिंह जोहर और केंद्र सरकार के मामले में) अपने फैसले में कहा था, 'LGBTQ समुदाय के सदस्यों को भी संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों के तहत गरिमा के साथ जीने का हक है।' लेकिन इसमें समलैंगिक जोड़ों के विवाह होने पर उसे मान्यता देने या उसके पंजीकरण के बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं थी।
पीठ ने अपनी व्यवस्था में अप्राकृतिक यौनाचार से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के एक हिस्से को निरस्त करते हुए कहा था कि यह समता और गरिमा के साथ जीने की आजादी प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करता है। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल थीं।
न्यायालय ने भी अपनी इस व्यवस्था में समाज और लोगों के नजरिये में बदलाव पर जोर देते हुए कहा था कि समलैंगिकता एक जैविक तथ्य है और इस तरह के लैंगिक रुझान रखने वाले समुदाय के सदस्यों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव उनके मौलिक अधिकार का हनन है।
पटना में दो सहेलियों को आपस में हुआ प्यार
एक कॉमन दोस्त के जरिए दो लड़कियों की आपस में मुलाकात हुई थी। बहुत कम समय में दोनों की दोस्ती हुई। एक-दूसरे के घर दोनों आने-जाने लगे। इन्हें एक-दूसरे का साथ इस कदर भाने लगा कि प्यार हो गया। सामाजिक बंधनों को तोड़ समलैंगिकता के रिश्तों को मजबूत करने में ये दोनों लड़कियां जुट गईं। अब ये दोनों आपस शादी करना चाहती हैं। दोनों के घर वाले इसमें दीवार बने हुए हैं।
लड़कियां देश में बने समलैंगिकता कानून का उदाहरण दे रही हैं। मगर, एक लड़की के परिवार ने दूसरी लड़की और उसके परिवार के ऊपर तो कानूनी शिकंजा ही कस दिया। उसके ऊपर पटना के पाटलिपुत्रा थाना में किडनैपिंग की FIR दर्ज करा दी।
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