काेराेना वैक्सीन की दाेनाें डाेज लेने के बाद आप संक्रमित हाे सकते हैं, पर वायरस की क्षमता कम हाेगी। इस वजह से दाेनाें डाेज लेने के बाद संक्रमित मरीज सीरियस नहीं हाेंगे। उन्हें अस्पताल जाने की जरूरत कम पड़ेगी। वे हाेम अाइसाेलेशन में तीन-चार दिन बाद ठीक हाे जा रहे हैं। हालांकि, सबकाे मास्क पहनना, साेशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना और सेनेटाइजर का उपयाेग करना हर हाल में जरूरी है।
विशेषज्ञाें का कहना है कि अभी यह डेटा नहीं आया है कि दाेनाें डाेज लेने वाले कितने प्रतिशत लाेगाें काे काेराेना का संक्रमण हाे रहा है। दूसरी डाेज लेने के 14 दिन बाद ही शरीर में इम्युनिटी डेवलप हाेनी शुरू हाेती है। माे. सिकन्दर की रिपाेर्ट।
माइल्ड इंफेक्शन हाेगा, जल्द रिकवर हाेंगे : डाॅ. सीएम सिंह
एम्स के कम्युनिटी मेडिसिन के हेड डाॅ. सीएम सिंह ने बताया कि जिन लाेगाें ने दाेनाें डाेज ले ली है, वे भी काेराेना से संक्रमित हाे रहे हैं। चाहे उन्हाेंने काेवैक्सीन की डाेज ली हाे या काेविशिल्ड की। काेवैक्सिन की इफिकेसी 81 प्रतिशत है, जबकि काेविशिल्ड की 72 फीसदी। दाेनाें डाेज लेने वाले जाे लाेग काेराेना से संक्रमित हाे रहे हैं, वे माइल्ड हैं। सीरियस नहीं हाे रहे हैं। वे जल्द रिकवर हाे जा रहे हैं।
इम्युनिटी बढ़ जाने पर सीरियसनहीं करेगा वायरस : डाॅ. संजय
आईजीआईआईएमएम के कम्युनिटी मेडिसिन के हेड डाॅ. संजय कुमार ने कहा कि काेराेना वायरस बार-बार म्यूटेट कर रहा है। यही वजह है कि दाेनाें डाेज लेने के बाद भी म्यूटेट वायरस इम्युनिटी एस्केप कर संक्रमित कर देता है। चूंकि दाेनाें डाेज लेने वाले के शरीर में इम्युनिटी रहती है कि इसलिए वायरस सीरियस नहीं कर पाता है। अस्पताल जाने की जरूरत कम पड़ती है। वे हाेम आइसाेलेशन में रहकर दवा खाने के बाद ठीक हाे जा रहे हैं।
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