खरमास खत्म होते ही एक बार फिर से लगन यानी शादियों का सीजन शुरू हो गया है। लेकिन, कोरोना की तीसरी लहर ने शादियों पर एक बार फिर ग्रहण लगा दिया है। साथ ही इससे जुड़े कारोबार पर तो तीसरी लहर कहर बनकर टूटी है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से भी लोग भय में हैं। बाजार ठंडी पड़ी है, दुकानों में लोग नहीं हैं। दुकानदार निराश और हताश बैठे हैं। दैनिक भास्कर ने विवाह से जुड़े कारोबार को लेकर बाजार का जायजा लिया। कई दुकानदारों से बातचीत की।
कपड़ा कारोबारियों की भी हालत खराब
शादियों में सेहरा का खास महत्व होता है। दुकानदार धर्मेद्र ने बताया ने बताया की साल भर की उम्मीदें लगन पर टिकी होती है। लेकिन जब-जब लगन आता है, कोरोना भी साथ में आ जाता है। इससे उम्मीदों पर पानी फिर गया है। वहीं, दुल्हन के कपड़ों से जु़ड़े कारोबारी जागेश्वर प्रसाद ने बताया कि कोरोना की वजह से दुकानदारी एकदम ठप हो गया है। लोग खरीदारी करने आ ही नहीं रहे हैं। दुकान का किराया और स्टाफ की सैलरी निकालनी भी मुश्किल हो गयी है। दूल्हे का सबसे खास परिधान शेरवानी के दुकानदारों की भी यही स्थिति है। 100% में से 25% भी दुकानदारी नहीं हो पा रही है।
श्रृंगार के दुकानदार भी मायूस
शादियों में महिलाओं के लिए सबसे खास श्रृंगार है। इन दिनों श्रृंगार की दुकान भी खाली पड़ी है। दुकानदार मायूस बैठे रहते हैं। यही स्थिति ज्वेलरी के दुकानदारों की है। लोग शादियों की डेट को बढ़ा दे रहे हैं या फिर रद्द कर दे रहे हैं। ज्वेलरी दुकानदार आंचल ने कहा कि कोरोना की वजह से बोहनी तक करना मुश्किल हो गया है। दिनभर आकर दुकान पर बैठती हूं। शाम को मायूस होकर लौट जाती हूं। बाजार से ग्राहक नदारद हैं।
लहठियों ज्वेलरी का भी बाजार मंदा
विवाह आदि शुभ कार्यों में लहठी और चूड़ियों का विशेष महत्व है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण हमारे इस धंधे पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। लहठी दुकानदार आशुतोष ने बताया कि पूरे चूड़ी बाज़ार में कोई भी ग्राहक नहीं है। बाजार में सन्नाटा पड़ हुआ है। वहीं, कोरोना ने कार्ड से जुड़े कारोबारियों पर भी असर डाला है। लोग कार्ड छपवाने से परहेज कर रहे हैं। फोन पर ही लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। कार्ड दुकानदार प्रेम कुमार ने बताया कि शादियों में छपने वाली कार्ड छपवाने का आम बिल्कुल कम हो गया है। लोग अब कार्ड छपवाना ही नहीं चाहते हैं।
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