डॉ सीपी ठाकुर ने जयप्रभा अस्पताल में हो रही राजनीति से अस्पताल की कार्यकारी समिति से इस्तीफा दे दिया था। इंदिरा गांधी से मुलाकात कर उनके नाम से पटना में एक अस्पताल खोलने की मांग की। तब वह 1980 का चुनाव जीत चुकी थीं। प्रधानमंत्री थीं।
डॉ.ठाकुर की बात सुनते ही इंदिरा ने कहा- बिहार में कुछ नहीं हो सकता। डॉ ठाकुर ने बड़ी मुश्किल से उनकी सहमति हासिल की। योजना बनाई। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र को सौंपी जिन्होंने अस्पताल बनाने के लिए 26 एकड़ जमीन दी। डॉ सीपी ठाकुर की जीवनी ‘आशा और विश्वास-एक यात्रा’ उनके जीवन के कई पहलुओं पर से पर्दा उठाती है। डॉ ठाकुर ने बुधवार को पुस्तक की पहली प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट की।
1964 में जेपी के अनन्य सहयोगी परमानंद सहाय डॉ ठाकुर से मिलने पहुंचे। बताया कि जेपी शुगर और बीपी से पीड़ित हैं। डॉ.ठाकुर जेपी को देखने कदमकुआं गए। वादा किया कि वह उनकी नियमित जांच करते रहेंगे।
राजनीति में राजीव गांधी ले आए थे डॉ. सीपी ठाकुर को, चुनाव लड़ने को कहा
डॉ. सीपी ठाकुर को राजनीति में राजीव गांधी लेकर आए थे और पटना से चुनाव लड़ने को कहा था। 1984 में कांग्रेस सहानुभूति लहर पर सवार थी। तब कुछ वोट के ठेकेदार पैसा मांगने उनके पास पहुंचे लेकिन उन्होंने नकार दिया।
किराए पर छह कार लीं और प्रचार में जुट गए। तब चुनाव के रिटर्निंग अफसर आरके सिंह (अभी केंद्रीय मंत्री) थे। वोटों की गिनती शुरू हुई तो दियारा एरिया में 5000 से आगे रहने के बावजूद रामअवतार शास्त्री ने उन्हें जीत की माला पहना दी थी। कहा था- मेरे गढ़ में इतने कम वोटों से पीछे हैं तो अन्य क्षेत्रों में बढ़त बना लेंगे। राजीव गांधी की जिस दिन हत्या हुई उसके एक दिन पहले वह पटना में डॉ ठाकुर के साथ थे।
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