बनारस के ज्ञानवापी विवाद का असर अब बिहार पर भी पडने लगा है। यहां भी ज्ञानवापी पर राजनीति तेज हो गई है। इसकी शुरुआत सत्तारुढ़ दल JDU ने किया। JDU के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सलीम परवेज ने दावा किया है ज्ञानवापी में मस्जिद था, मस्जिद है और मस्जिद रहेगा। जो इस तरह से काम कर रहे है वो हिन्दू मुस्लिम में तनाव बढाना चाहते है और समाज को अमन चैन से रहने देना नही चाहते है। सलीम परवेज ने ये बयान तब दिया जब पूरे देश में ज्ञानवापी को लेकर बहस छिड़ी हुई है मामला कोर्ट में है।
ज्ञानवापी के आड़ में हिन्दू-मुस्लिम में विवाद कराना चाह रहे लोग
JDU के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और विधान परिषद के पूर्व उप सभापति सलीम परवेज ने वैशाली की एक बैठक में कहा कि जब तक बिहार में नीतीश कुमार है मदरसा, मस्जिद और कब्रिस्तान महफूज है। नीतीश कुमार के रहते अल्पसंख्यकों के साथ कुछ गलत नहीं होगा। वहीं, उन्होने कहा कि ज्ञानवापी में मस्जिद था उसी जगह था, है और रहेगा। JDU नेता ने कहा कि हिंदू मुस्लिम में तनाव बनाने के लिए यह सब हो रहा है ताकि सभी अलग-अलग गुटों में बंट जाएं और लोगों का उल्लू सीधा हो सके। सलीम परवेज जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की समीक्षात्मक बैठक में भाग लेने वैशाली पहुंचे थे।
मामला बनारस के कोर्ट में है
दरअसल, 1991 में याचिकाकर्ता स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी थी। इस याचिका में कहा गया कि 16वीं सदी में औरंगजेब के आदेश पर काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर वहां मस्जिद बनवाई गई थी। मामले की जांच लगातार चल रही और पूरा मामला कोर्ट में है, लेकिन इस मामले इतनी सुर्खियां बटोरी हैं कि दूसरे राज्यों में भी इसका असर है।
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