रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में CBI जल्द ही कई गिरफ्तारियां भी कर सकती है। सूत्रों के अनुसार इस दायरे में नौकरी पाने वाले से लेकर नौकरी देने की प्रक्रिया में शामिल रहे कई लोग हैं। लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे उस दौरान रेल के जिन अफसरों के जरिए ये नियुक्तियां की गईं उनपर भी जल्द ही शिकंजा कसेगा। CBI सिर्फ लालू प्रसाद के 2004 से 2009 तक के कार्यकाल में नियुक्ति मामले में हुई गड़बड़ियों की नहीं बल्कि पूरे 11 साल के अवधि में क्या-क्या हुआ उसकी जांच में जुटी है।
सीबीआई ने जांच का दायरा वर्ष 2004 से 2015 तक रखा है। दरअसल सीबीआई को इन ग्यारह वर्षों में नौकरी के बदले जमीन ट्रांसफर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं। CBI सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि पटना के महुआबाग के रहने वाले बृजनंदन राय ने 29 मार्च 2008 को पटना में 3375 वर्ग फुट जमीन गोपालंगज के रहने वाले हृदयानंद चौधरी को ट्रांसफर किया। यह जमीन 4 लाख 21 हजार में हृदयानंद को बेची गई। दिलचस्प यह है कि हृदयानंद चौधरी को वर्ष 2005 में पूर्व मध्य रेल हाजीपुर में नियुक्त किया गया था।
CBI की प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई है कि हृदयानंद चौधरी ने इस जमीन को 28 फरवरी 2014 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी हेमा यादव को गिफ्ट डीड के मार्फत ट्रांसफर कर दिया। हृदयानंद चौधरी लालू प्रसाद के संबंधी हैं या नहीं इस बात की भी जांच की गई तो पता चला कि वे लालू प्रसाद के संबंधी भी नहीं हैं।
CBI की जांच में यह बात आई है कि जिस समय हेमा यादव को यह जमीन गिफ्ट की गई उस दौरान उस जमीन का सर्किल रेट करीब 62 लाख 10 हजार रुपए था। सूत्रों के अनुसार CBI ने शुक्रवार को गोपालगंज के उचकागांव थाना क्षेत्र के इटावा गांव में हृदयानंद चौधरी के ठिकाने पर भी छापेमारी की थी।
लालू के करीबी रहे कई रेल अधिकारियों पर भी कसेगा शिकंजा
सूत्रों के अनुसार CBI इस मामले में जल्द ही कई गिरफ्तारियां भी कर सकती है। इस दायरे में जमीन देकर नौकरी पाने वाले अभियुक्त तो हैं ही वैसे रेल अधिकारियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है, जो रेल मंत्री रहते लालू के करीबी थे और इन नियुक्तियों में उनकी भूमिका संदेह के दायरे में है। CBI ने अज्ञात लोकसवेकों व गैर सरकारी लोगों पर भी मुकदमा किया है।
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