भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि पटना विवि में बीएड के कोर्स में बेतहाशा फीस वृद्धि, पटना लॉ कॉलेज में आधारभूत संरचनाओं की कमी का हवाला देकर सीटों को 300 से घटाकर 120 कर देने, राज्य में नई शिक्षा नीति के तहत च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम को नए सत्र से लागू करने, शिक्षा के निजीकरण सहित अन्य मसलों पर आंदोलनरत छात्र समुदाय की मांगों पर राजभवन और बिहार सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा के आगामी सत्र में इन सवालों को मजबूती से सदन के अंदर उठाया जाएगा और राज्य सरकार को जवाब देने के लिए बाध्य किया जाएगा।
मांगो का ज्ञापन सौंपा
पटना विवि के आंदोलनरत छात्र समुदाय का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष विकास यादव के नेतृत्व में सोमवार को माले के राज्य सचिव कुणाल, मीडिया प्रभारी कुमार परवेज और राज्य कार्यालय सचिव प्रकाश कुमार से मिला और अपनी मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा।
हर मंच पर मांगों को उठाया जाएगा
माले राज्य सचिव ने संयुक्त छात्र प्रतिनिधिमंडल की मांगों को हर मंच पर उठाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि पटना विवि के बीएड के कोर्स में फीस को 1800 से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया गया। हालांकि आंदोलन के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन 25 हजार फीस की बात रहा है, जो भी एक बड़ी रकम है। बीएड कोर्स में छात्राओं की पढ़ाई निःशुल्क होती है। इस फीस वृद्धि का सीधा असर गरीब, दलित व वंचित समुदाय के छात्रों पर पड़ेगा और वे पूरी तरह इस कोर्स से बाहर हो जाएंगे। पुरानी फीस पर ही विश्वविद्यालय में बीएड की पढ़ाई की गारंटी होनी चाहिए।
शिक्षा सुधार की डींग हांक रही सरकार
उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना का निर्माण करना सरकार का काम है। लेकिन आधारभूत संरचनाओं को बनाने की बजाए उसके न होने को आधार बनाकर पटना लॉ कॉलेज में सीटों की संख्या ही घटाई जा रही है। शिक्षा सुधार की डींगें मारने वाली सरकार ने इसके पहले कई प्राथमिक विद्यालयों को भी बंद कर दिया है। शिक्षा व्यवस्था का आज बिहार में पूरी तरह से बंटाढार हो गया है।
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