देश के 5 राज्यों में सोना लूट को अंजाम देने वाली गैंग का मास्टरमाइंड सुबोध सिंह 5 साल से पटना की बेउर जेल में बंद है। जेल में उसे सब बबुआ जी कहते हैं। सुबोध क्रिकेट का शौकीन है। क्रिकेट देखना, क्रिकेट खेलना उसे काफी पसंद है। जेल में होने वाले क्रिकेट में जीत या हार के बाद इनाम बांटना सुबोध की आदत है। इनाम भी साधारण नहीं होता है। इनाम में महंगे जूते...सोने का चेन या सोने की ब्रेसलेट देता है। दैनिक भास्कर को यह सारी जानकारी मारपीट के मामले में जेल से 6 महीने पहले छूटे एक व्यक्ति ने नाम ना छापने की शर्त पर बताई है....
क्रिकेट की हर खबर से अपडेट रहता है सुबोध
सुबोध को जानने वाले बताते हैं कि सुबोध बैटिंग बहुत अच्छी करता है। सुबोध सिंह क्रिकेट की खबरों से भी अपडेट रहता है। क्रिकेट मैच देखने के दौरान डिस्टरबेंस उसे पसंद नहीं। देश दुनिया में हो रहे क्रिकेट मैच, IPL, T-20 की सारी जानकारी से वह अपडेट रहता है। भारतीय टीम में वीरेंद्र सहवाग और सौरव गांगुली और आज के दौर में विराट कोहली और रोहित शर्मा उसके फेवरेट खिलाड़ी हैं।
कहने वाले ये भी कहते है कि सुबोध सिंह के खाने के समय भी इनमें से कोई खिलाड़ी अगर आउट हो जाए तो वो काफी दुखी हो जाता है। भारतीय टीम के अलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका की टीम का मैच देखता है। इन दोनों टीमों के हार जीत का असर भी सुबोध पर पड़ता है।
सुबोध के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका टीम अच्छा खेलती है, लेकिन इस टीम का भाग्य ही खराब है। इसी कारण यह टीम कभी वर्ल्ड कप नही जीत पाई। ऑस्ट्रेलिया टीम के रिक्की पोंटिंग और मैथ्यू हेडन और दक्षिण अफ्रीका टीम के जैक कैलिस और लांस क्लूजनर सुबोध के पसंदीदा खिलाड़ियों में से एक रहे हैं।
सुबोध की अगुवाई में जेल में भी होता क्रिकेट मैच
पटना के बेऊर जेल में हर साल एक मैत्री क्रिकेट मैच का आयोजन होता है। इस मैच में 2 टीम खेलती हैं। एक टीम में 12 कैदी रहते हैं और दूसरे टीम में 12 पुलिस वाले। कभी-कभी जेलर भी इस मैच में हिस्सा लेते हैं। सुबोध तबीयत खराब होने के पहले तक खुद भी इसमें हिस्सा लेता रहा है। मैच खत्म होने के बाद सुबोध दिल खोल कर इनाम बांटता है। इनाम में महंगे जूते सोने के चेन या सोने की ब्रेसलेट शामिल होती है। प्रदर्शन के हिसाब से सभी खिलाड़ियों को ये इनाम बांटता है।
सुबोध को रेड बुल पीना पसंद है
सुबोध सिंह रेड बुल का बहुत बड़ा शौकीन है। सुबोध हमेशा यह एनर्जी ड्रिंक पीता है। सुबोध के इस ड्रिंक की दीवानगी का अंदाजा इसी से लगा सकते है की जेल में उससे मुलाकात करने वालों से वह ये ड्रिंक मंगवाता है। उसके परिचित उसके लिए यह ड्रिंक लेकर भी आते हैं। अगर कोई मुलाकाती रेड बुल लेकर नहीं आता तो सुबोध उससे मिलता भी नहीं है। साथ ही उसे दोबारा ना आने की धमकी देकर भगा देता है। सुबोध को नजदीक से जानने वाले बताते हैं कि सुबोध को खाना नहीं मिले ये चलेगा पर सुबोध इस ड्रिंक के बगैर नहीं रह सकता।
सुबोध को जेल में सब कहते हैं बबुआ जी
6 महीने पहले अपने अवधि की सजा काटकर निकले कैदी ने बताया कि जेल के बाहर और अंदर के सुरक्षाकर्मी और जेल में सजा काट रहे कैदी भी सुबोध को नाम से नहीं संबोधित करते है। सुबोध को खुश करने, सम्मान देने या नाम रखने से परहेज करने के लिए सभी बबुआ जी कह कर संबोधन करते हैं।
सुबोध से बबुआ...फिर बबुआ जी...फिल्मी कहानी से कम नहीं
सुबोध सिंह के बबुआ जी बनने के पीछे भी कहानी है। एक लूट मामले में पुलिस को सुबोध सिंह की तलाश थी। पुलिस जगह-जगह सुबोध को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी कर रही थी। इसी दौरान एक बार सुबोध अपने एक दोस्त के साथ मोटरसाइकिल से कही जा रहा था। तभी वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस ने इन लोगों को रोका। पुलिस ने जब इनसे नाम पूछा तो सुबोध ने पुलिस से बचने के लिए अपना नाम बबुआ बताया। उस समय मौजूद पुलिस वाले सुबोध को चेहरे से नहीं पहचानते थे।
बबुआ नाम सुन कर पुलिस वालों ने उसे छोड़ दिया। सुबोध के साथ उस समय जो उसका दोस्त था...वह बाद में भी मजाक मजाक में बबुआ ही कहने लगा। धीरे-धीरे और लोग भी सुबोध को बबुआ ही कहने लगे। लेकिन जब सुबोध सोना लूट कांड में मास्टरमाइंड बन गया तो लोगों ने उसको जायदा इज्जत देने के लिए उसके नाम में जी जोड़ दिया। और आज इसी नाम से जेल में भी लोग उसको जानने लग गए। इसी तरह सुबोध बन गया बबुआ जी।
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